तो ख्वाजा की चौखट पर हो गया दो विचारधाराओं का मिलन। देश में मुसलमानों की एकता को मिलेगी मजबूती।
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तो ख्वाजा की चौखट पर हो गया दो विचारधाराओं का मिलन। देश में मुसलमानों की एकता को मिलेगी मजबूती।
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13 नवंबर को जमीयत उलेमा-ए-हिंद का तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन अजमेर में संपन्न हो गया। देश भर के मुसलमानों में एकता कायम करने के संकल्प के साथ संपन्न हुुआ। इसमें कोई दो राय नहीं है कि जमीयत का यह अधिवेशन जिस मकसद से अजमेर में आयोजित किया गया, वह मकसद पूरा हो गया। सब जानते हैं कि जमीयत की बहावी विचारधारा सूफी संत ख्वाजा सहब के सूफीवाद से मेल नहीं खाती है, लेकिन जब देशभर के मुसलमानों की एकता की बात सामने आई तो सूफी विचारधारा ने भी बहावी विचारधारा को गले लगा लिया। मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन ऑफ इंडिया से जुड़े स्टूडेंट जमीयत को भले ही कितना भी कट्टरपंथी बताएं, लेकिन ख्वाजा साहब की दरगाह से जुड़ी तीनों प्रमुख संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने जमीयत के पदाध्किारी का इस्तकबाल करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। दरगाह कमेटी ने तो जिला प्रशासन की अनुमति से पहले ही कायड़ विश्रामस्थली को जमीयत को सौंप दिया। खादिमों की दोनों संस्था अंजुमन शेख यादगान और अंजुमन सैयद जादगान ने जमीयत के पदाधिकारियों को दरगाह में न केवल जियारत करवाई बल्कि दस्तारबंदी कर उनकी सफलता के लिए दुआ भी की। इस होड़ में दरगाह के दीवान जैनुअल आबेदीन भी पीछे नहीं रहें। आतंकी हमलों के समय मुस्लिम कट्टरवाद की आलोचना करने वाले दीवान आबेदीन ने भी 12 नवंबर की शाम को तीन सितारा सुविधायुक्त होटल मानसिंह में जमीयत के प्रतिनिधियों को शानदार डिनर दिया गया। यानि ख्वाजा साहब की चौखट पर दो विचारधाराओं का मिलन शानदार तरीके से हुआ। यह बात पहले भी सामने आई है कि भारत में अमन-चैन के लिए कट्टरवाद की बजाय सूफीवाद के मार्ग पर चलना होगा। ख्वाजा साहब ने भाईचारे का जो पैगाम दिया उसी के अनुरूप हिन्दू और मुसलमानों को रहना होगा। खुद दरगाह से जुड़े प्रतिनिधियों ने अधिवेशन से पूर्व जमीयत पर गंभीर आरोप लगाए थे, लेकिन जब एकता की बात सामने आई तो ख्वाजा साहब की दरगाह से जुड़ी सभी संस्थाओं ने जमीयत को गले लगा लिया। देखा जाए तो इसे एक सकारात्मक कदम माना जाना चाहिए क्योंकि यदि बहावी विचारधारा सूफी विचारधारा के प्रभाव में आती है तो देश में अमन चैन कायम रह सकता है। उम्मीद की जानी चाहिए कि जिस प्रकार ख्वाजा की चौखट पर दो विचारधारा का मिलन हुआ है, उसी प्रकार अलग-अलग सम्प्रदायों में भी मिलन होगा।
(एस.पी.मित्तल) (13-11-16)
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