तो विपक्ष नहीं चाहता है नोटबंदी पर संसद में बहस। मोदी की उपस्थिति के बाद भी राज्यसभा नहीं चलने दी।
#2020
तो विपक्ष नहीं चाहता है नोटबंदी पर संसद में बहस। मोदी की उपस्थिति के बाद भी राज्यसभा नहीं चलने दी।
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1 दिसंबर को जिन लोगों ने लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही का सीधा प्रसारण देखा, उन्हें पता है कि विपक्ष ने लोकसभा और राज्यसभा में दोहरे मापदंड अपनाए। लोकसभा में सरकार की ओर से कहा गया कि प्रश्नकाल से ही नोटबंदी पर बहस करवाई जाए, लेकिन विपक्षी सांसद लोकसभा में पीएम नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति की मांग करते रहे। विपक्षी सांसदों ने स्कूली बच्चों की तरह जो हल्ला मचाया, उसकी वजह से अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को लोकसभा की कार्यवाही 2 दिसंबर तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। विपक्षी सांसद जिस तरह से मोदी-मोदी चिल्ला रहे थे, उससे देश की राजनीति का चरित्र चौराहे पर नजर आ रहा था। जो विपक्षी लोकसभा में मोदी की उपस्थिति में नोटबंदी पर बहस की मांग कर रहे थे, उन्हीं विपक्षी दलों के सांसदों ने राज्यसभा में दोहरा मापदंड अपना लिया। राज्यसभा में पीएम मोदी उपस्थित हो गए और चर्चा का प्रस्ताव सरकार ने रख दिया, लेकिन विपक्षी सांसदों ने पहले मोदी से माफी मांगने की शर्त रख दी। मोदी ने विगत दिनों कहा था कि जिन लोगों को मौका नहीं दिया, वे नोटबंदी का विरोध कर रहे हैं। विपक्षी दलों ने मोदी के इस बयान को सांसदों का अपमान बताया और माफी मांगने की मांग रख दी। सवाल उठता है कि जब मोदी राज्यसभा में उपस्थित रहे तो फिर बहस क्यों नहीं होने दी? जबकि यही विपक्ष लोकसभा में मोदी की उपस्थिति की मांग कर रहा था। इससे ऐसा लगता है कि विपक्ष स्वयं ही नोटबंदी पर बहस नहीं चाहता। देखना है कि हमारे दोनों सदन कब तक लोकतंत्र का तमाशा बनते रहते हैं।
(एस.पी.मित्तल) (01-12-16)
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