क्या सीएम के आने से पहले अजमेर के लॉ कॉलेज को मान्यता मिल पाएगी? परेशान हो रहे हैं विद्यार्थी। =
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राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे अपनी सरकार की तीन वर्ष की उपलब्धियों को गिनाने के लिए 12 जनवरी को अजमेर आ रही हंै। स्वाभाविक है कि राजे विकास के दावे करेंगी, लेकिन वहीं अजमेर के लॉ कॉलेज में प्रथम वर्ष में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थी गत 6 माह से इधर-उधर भटक रहे हैं। सैंकड़ों विद्यार्थियों का भविष्य अंधेरे में हैं। केन्द्र और राज्य में भाजपा की सरकार होने के बाद भी कॉलेज को मान्यता नहीं मिल रही है। असल में एमडीएस यूनिवर्सिटी ने खामियां निकाल कर जो रिपोर्ट बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई)को भेजी है, उस पर बीसीआई ने मान्यता देने से इंकार कर दिया है। सवाल उठता है कि जब केन्द्र्र से लेकर एमडीएस यूनिवर्सिटी तक में भाजपा का राज है तब कॉलेज की कमियों को दूर क्यों नहीं किया जा रहा है? जाहिर है कि अजमेर में राजनीतिक एकजुटता का अभाव है। परेशान विद्यार्थी जिले के सभी भाजपा जनप्रतिनिधियों से मिले हैं, लेकिन सिर्फ शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी ने ही उच्च शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी को पत्र लिखा है। शेष जनप्रतिनिधियों की चुप्पी आश्चर्यजनक है? इस समय अजमेर के सांसद और जिले के चार विधायकों को राज्यमंत्री का दर्जा मिला हुआ है। सवाल उठता है कि ये मंत्री क्या सिर्फ लाल बत्ती की कार में घूमने के लिए हैं ? सरकार जब अपने 3 वर्ष के कार्यकाल का जश्न मना रही हो तो मान्यता की मांग को लेकर विद्यार्थी अर्धनग्न प्रदर्शन करें, तो लाल बत्ती की कार में घूमने वाले मंत्रियों को कुछ तो शर्म आनी चाहिए। यूनिवर्सिटी ने जो खामियां निकाली हैं, वे भी मामूली है। यदि भाजपा के जनप्रतिनिधि एकजुट होकर प्रयास करें तो दो दिन में कमियों को दूर किया जा सकता है, लेकिन ऐसा होगा नहीं। क्योंकि ऐसे जनप्रतिनिधियों को अपने जिले के विद्यार्थियों की परेशानियों से कोई सरोकार नहीं है। मान्यता के लिए कांग्रेस के एनएसयूआई के छात्र ही नहीं बल्कि विद्यार्थी परिषद के छात्र भी आंदोलन कर रहे हैं। 7 जनवरी को ही छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष राजीव भारद्वाज बगरू के नेतृत्व में छात्रों ने अर्धनग्न होकर प्रदर्शन किया है। लॉ कॉलेज में गत वर्ष जुलाई में ही प्रवेश हो जाने चाहिए थे लेकिन मान्यता के अभाव मे अभी तक भी प्रवेश नहीं हुए हैं। मजबूरी में छात्रों को निजी कॉलेज में प्रवेश लेना पड़ रहा है। जहां सरकारी कॉलेज में वार्षिक फीस 5 हजार रुपए है, वहीं निजी कॉलेजों में 25 हजार रुपए तक वसूले जा रहे हैं। बीसीआई के पदाधिकारियों का कहना है कि यदि एमडीएस यूनिवर्सिटी सकारात्मक रिपोर्ट भेज दें तो कॉलेज को कम से कम अस्थाई मान्यता तो दी ही जा सकती है। अजमेर की तरह ही नागौर, टौंक और भीलवाड़ा के लॉ कॉलेज की मान्यता का मामला भी लटका हुआ है।
एस.पी.मित्तल) (08-01-17)
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