मिस्टर मोदी, मुझे भी आपका ऑटो ग्राफ चाहिए। अमेरिका में आपकी जबर्दस्त लोकप्रियता है-राष्ट्रपति जो बाइडन। भारत के नागरिकों को इससे ज्यादा और क्या सम्मान चाहिए। जी-7 शिखर सम्मेलन में भारत विशेष मेहमान है।

21 मई को दुनिया के साथ प्रगतिशील देशों के शिखर सम्मेलन का दूसरा दिन रहा। यह सम्मेलन जापान के हिरोशिमा में हो रहा है। जी-7 समूह में अमेरिका, जापान, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, कनाडा और यूक्रेन शामिल हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के बढ़ते दबदबे को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विशेष मेहमान के तौर पर आमंत्रित किया गया है। कहा जा सकता है कि अब यह शिखर सम्मेलन जी-8 समूह का हो रहा है। 21 मई को जब सभी देशों के राष्ट्र प्रमुख उपस्थित थे, तब दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा, मिस्टर मोदी मुझे भी आपके ऑटोग्राफ चाहिए, क्योंकि अमेरिका में आपकी जबर्दस्त लोकप्रियता है। पूरे अमेरिका में मोदी इवेंट की जबरदस्त मांग रहती है। सवा सौ करोड़ भारतीयों के लिए इससे ज्यादा सम्मान की बात और क्या हो सकती है? जिस अमरीका के सामने अनेक देश भीख का कटोरा लेकर खड़े हैं, उस देश का राष्ट्रपति हमारे पीएम से ऑटोग्राफ मांग रहा है। यदि आज भारत मजबूत स्थिति में नहीं होता तो अमरीका कभी भी हमारे पीएम का इतना सम्मान नहीं करता। इतना ही नहीं युद्ध ग्रस्त यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने भी सम्मेलन में पीएम मोदी को यूक्रेन आमंत्रित किया है, ताकि युद्ध समाप्त करने का कोई रास्ता निकाला जा सके। जेलेंस्की को उम्मीद है कि यदि पीएम मोदी दखल देंगे तो रूस के राष्ट्रपति पुतिन को झुकना पड़ेगा। जेलेंस्की ने मोदी को तब आमंत्रित किया है, जब भारत, रूस से बड़ी मात्रा में कच्चा तेल खरीद रहा है। यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका सहित यूरोप के देशों ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया है। लेकिन अमरीका के विरोध के बाद भी भारत ने रूस से तेल खरीदा। महत्वपूर्ण बात तो यह है कि भारत की निजी क्षेत्र की तेल कंपनियां रूस से सस्ता तेल खरीद कर यूरोप के देशों को बेच रही है। तेल के मामले में भारत ने जो रणनीति अपनाई, उसी का नतीजा है कि रूस और यूक्रेन दोनों ही भारत पर भरोसा कर रहे हैँ। आज कोई यह नहीं कह सकता कि भारत किसी शक्तिशाली देश का पिछलग्गू है। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत, अमेरिका और रूस को एक नजरिए से देखता है। अंतरराष्ट्रीय मंच पर रूस भाले ही चीन के साथ हो, लेकिन भारत-चीन के विवाद में रूस हमेशा तटस्थ रहता है। यही वजह है कि सीमा पर अब चीन की दादागिरी का मुंहतोड़ जवाब दिया जाता है। भारत के साथ विवाद में अब चीन का कोई पक्षधर नहीं है। जहां तक पाकिस्तान का सवाल है तो पाकिस्तान अपने ही कर्मों से बर्बादी के कगार पर खड़ा है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (21-05-2023)
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