वेद प्रकाश यादव की गिरफ्तारी के बाद राजस्थान के सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के किसी अधिकारी पर कार्यवाही नहीं होगी, क्योंकि इस विभाग का प्रभार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास है। रीट और शिक्षक भर्ती परीक्षा के घोटाले भी दब गए।

19 मई को जयपुर स्थित राजस्थान सरकार के सचिवालय से सटे योजना भवन में संचालित सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के बेसमेंट में रखी अलमारी से जो 2 करोड़ 31 लाख रुपए और एक किलो की सोने की ईंट मिली उस प्रकरण में पुलिस ने विभाग के संयुक्त निदेशक वेद प्रकाश यादव को गिरफ्तार कर लिया है। यादव ने स्वीकार किया है कि यह राशि रिश्वत की है जो वह संबंधित कंपनियों से ले रहा था। यह सही है कि यादव अकेले दम पर रिश्वत नहीं ले सकता। 2 करोड़ 31 लाख और 63 लाख रुपए के मूल्य के सोने का यादव अकेला मालिक है, इसलिए जी जाने वाली रिश्वत की राशि तो बहुत ज्यादा है। बड़े अधिकारियों की मेहरबानी का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि संयुक्त निदेशक बनने के बाद भी यादव को विभाग के स्टोर का इंचार्ज बना रखा है। यादव स्टोर इंचार्ज भी वर्ष 2003 से लगातार है। इन 20 वर्षों में कई आईएएस बदले, लेकिन किसी ने भ यादव को स्टोर से नहीं हटाया। यादव विभाग की क्रय समिति के सदस्य भी बने रहे। जयपुर पुलिस ने यह मामला अब एसीबी को सौंप दिया है। लेकिन अब इस मामले में जांच का दायरा आगे नहीं बढ़ेगा, क्योंकि सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग से लेकर एसीबी तक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अधीन ही आते हैं। यदि जांच आगे बढ़ी तो बात दूर तक जाएगी। वैसे भी जब यादव ने बरामद राशि और सोना अपना स्वीकार कर लिया है तो फिर आगे जांच की क्या जरूरत है? गत वर्ष रीट परीक्षा का पेपर लीक होने पर सरकार ने राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डीपी जारौली को बर्खास्त कर दिया, लेकिन जब जारौली ने पेपर लीक के आरोपियों पर राजनीतिक संरक्षण होने का बयान दिया तो जारौली को क्लीन चिट दे दी गई, ताकि राजनेताओं के चेहरे उजागर नहीं हों। इसी प्रकार सैकंड ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा का पेपर लीक होने पर पुलिस ने राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्य बाबूलाल कटारा को गिरफ्तार तो किया, लेकिन आयोग के अन्य जिम्मेदारों की कार्यशैली की जांच नहीं की। जांच आगे बढ़ती तो आयोग के अध्यक्ष के कामकाज की भी समीक्षा होती। जिस प्रकार रीट और शिक्षक भर्ती पेपर लीक के मामले दब गए उसी प्रकार वेद प्रकाश यादव के भ्रष्टाचार का मामला भी दब जाएगा। देश में संभवत: यह पहला अवसर होगा, जब किसी राज्य के सचिवालय से सटे सरकारी भवन की अलमारी से इतनी बड़ी राशि बरामद की है। चूंकि रिश्वत लेने वालों को कोई डर नहीं है, इसलिए सरकारी दफ्तर की अलमारी में ही नोटों को रखा जा रहा है। भ्रष्टाचारियों की हिम्मत की तो दाद देनी होगी। 

S.P.MITTAL BLOGGER (21-05-2023)
Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9929383123To Contact- 9829071511

Print Friendly, PDF & Email

You may also like...