सरकार के लिए आसान नहीं है ब्रह्मा मंदिर में प्रशासक को बैठाना। हालातों पर सीएम राजे की नजर।
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विश्व विख्यात पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर पर 17 जनवरी को भी कोई निर्णय नहीं हो सका। मंदिर के महंत के पद को लेकर विभिन्न पक्षों में जो घमासान मचा हुआ है, उसमें राज्य की भाजपा सरकार मंदिर पर प्रशासक नियुक्त करना चाहती हैं। यही वजह है कि मंदिर के हालातों पर सीएम वसुंधरा राजे स्वयं निगरानी कर रही हैं। राजे अजमेर के कलेक्टर गौरव गोयल से मंदिर के बारे में जानकारी लेती है। लेकिन मंदिर के जो हालात हैं, उसमें सरकार के लिए प्रशासक की नियुक्ति आसान नहीं है। गत 11 जनवरी को एक सड़क दुर्घटना में मंदिर के महंत सोमपुरी की मौत हो गई थी। सोमपुरी की मौत के साथ ही महंत की गद्दी पर गिद्ध नजरें लग गई। महानिर्वाणी अखाड़े के साधु-संत 12 जनवरी से ही मंदिर परिसर में डेरा जमाए हैं। वहीं मंदिर के कुछ ट्रस्टियों ने दिवंगत महंत के भतीजे दिवलाल को ही महंत घोषित कर दिया। यह बात अलग है कि दिवलाल और ट्रस्टी मंदिर में प्रवेश भी नहीं कर पा रहे हैं। इस समय मंदिर पर पुजारी लक्ष्मी नारायण, सुरेश पुरी, प्रज्ञान पुरी आदि का कब्जा है। इन पुजारियों को पुष्कर के अधिकांश तीर्थ पुरोहितों का भी समर्थन है। तीर्थ पुरोहित भी चाहते हैं कि महंत का पद किसी पुजारी को मिल जाए। असल में पुजारियों की वजह से ही तीर्थ पुरोहितों का दखल मंदिर में बना हुआ है। पुजारियों की वजह से ही पुरोहितों को यह पता रहता है कि उनके किस जजमान ने कितनी राशि मंदिर में चढ़ाई है। पूर्व में जब महंत लहरपुरी का निधन हुआ था तब भी पुरोहितों ने महंत की गद्दी पर अपना दावा जताया था। असल मेें पुष्कर के धार्मिक महत्व को बढ़ाने में पुरोहितों की खास भूमिका है। सभी दावेदारों की ताकत को देखते हुए सरकार ने एक बीच का रास्ता निकाला है। सरकार चाहती है कि प्रशासक की नियुक्ति से पहले एक प्रबंध समिति को मंदिर के कामकाज की जिम्मेदारी सौंप दी जाए। इस समिति में सरकारी अधिकारी को ही सदस्य बनाने का विचार है। लेकिन इस प्रबंध समिति की घोषणा करने की हिम्मत भी फिलहाल नहीं हो रही है। ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार अब 27 जनवरी को होने वाली षोड़शी रस्म का इंतजार करना चाहती है। दिवंगत महंत सोमपुरी के निधन पर मंदिर परिसर में यह रस्म होगी। इस रस्म का जिम्मा महानिर्वाणी अखाड़े के पास है। अखाड़े की ओर से इस दिन नए महंत की घोषणा की जाएगी। फिलहाल प्रशासन ने महंत के कक्ष को सील कर रखा है। देखना है कि सरकार इन परिस्थितियों से किसी प्रकार निपटती है।
विधायक तटस्थ
इस समय भाजपा के सुरेश सिंह रावत पुष्कर के विधायक है। रावत को पिछले दिनों ही संसदीय सचिव बनाया गया है। ब्रह्मा मंदिर के प्रकरण में विधायक रावत तटस्थ बने हुए हैं। रावत ने अपनी सूझ-बूझ से ही पुष्कर नगरपालिका के अध्यक्ष कमल पाठक को भी नियंत्रण कर रखा है। पाठक का बस चले तो आज ही ब्रह्मा मंदिर पर प्रशासक की नियुक्ति करवा दें। पाठक ने तो गत वर्ष ही मंदिर अधिग्रहण का प्रस्ताव साधारण सभा में मंजूर कर राज्य सरकार को भिजवा दिया था। पालिका के 20 पार्षदों में से 18 ने अधिग्रहण प्रस्ताव का समर्थन किया। लेकिन विधायक रावत वर्तमान हालातों में कोई जोखिम नहीं लेना चाहते। रावत को पता है कि प्रशासक की नियुक्ति को पुष्कर के पुरोहित और स्थानीय नागरिक पसन्द नहीं करेंगे। रावत ने पालिका अध्यक्ष पाठक से भी फिलहाल शांति बनाए रखने को कहा है।
एस.पी.मित्तल) (17-01-17)
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