तो जोधपुर घराना भी दावा कर सकता है ब्रह्मा मंदिर पर। =========================

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पुष्कर के विश्वविख्यात ब्रह्मा मंदिर पर जोधपुर का राज परिवार भी अपना दावा प्रस्तुत कर सकता है। राजपुताना के इतिहास के जानकार और नागौर के प्रमुख समाजसेवी विक्रमसिंह टापरवाडा के अनुसार पूर्व में जोधपुर राज्य से ही ब्रह्मा मंदिर की देखरेख होती थी। राजपूत होने के नाते ही लहरपुरी को देखरेख का जिम्मा दिया गया था। बाद में जागीरी अधिग्रहण कानून के आ जाने और जोधपुर के तत्कालीन राजा हनवंत सिंह की आकस्मिक मौत होने की वजह से ही लहरपुरी ने मंदिर पर एकाधिकार कर लिया। पहली बार लहरपुरी की अध्यक्षता में ही ब्रह्मा मंदिर का ट्रस्ट बना और लहरपुरी ही महंत बन गए। टापरवाडा के अनुसार महंत के पद का संबंध किसी भी अखाड़े अथवा साधु संत की परम्परा से संबंध नहीं रखता है। यही वजह है कि मंदिर के पुजारी पुष्कर के स्थानीय नागरिक ही बनते रहे हंै। अब भले ही अनेक लोग महंत की गद्दी पर दावा कर रहे हों, लेकिन मंदिर की संपत्ति पर जोधपुर घराने का वैधानिक अधिकार है। जागीरी अधिग्रहण के समय जोधपुर घराने के वर्तमान प्रमुख गजसिंह नाबालिग थे इसलिए उस समय घराने की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया गया। टापरवाडा के अनुसार आज भी जोधपुर घराना मंदिर की देखरेख और प्रबंध का काम संभाल सकता है।
(एस.पी.मित्तल) (18-01-17)
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