जिस देश में जल्लीकट्टू खेल बंद नहीं हो सकता, उस देश में आरक्षण समाप्त कैसे हो सकता है?
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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य के आरक्षण पर दिए गए एक बयान को लेकर राजनीतिक हलकों में बवाल मचा हुआ है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के नेता ऐसा दिखा रहे हैं कि वैद्य के बयान के बाद केन्द्र में भाजपा की सरकार देश में आरक्षण व्यवस्था को समाप्त कर देगी। सवाल उठता है कि जिस देश में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी जल्लीकट्टू जैसा जानलेवा खेल बंद नहीं हो सकता, उस देश में आरक्षण व्यवस्था कैसे समाप्त हो सकती है? जल्लीकट्टू पर रोक लगाने का विरोध तो सिर्फ तमिलनाडु में ही हो रहा है। मात्र एक प्रांत के लोगों के विरेध के दबाव में केन्द्र सरकार भी चाहती है कि सुप्रीम कोर्ट अपने आदेश पर पुनर्विचार करें। इस बीच तमिलनाडु सरकार तो अध्यादेश लाकर जल्लीकट्टू खेल को कानूनी मान्यता दिलवाने जा रही है। लालू प्रयाद यादव से लेकर कांग्रेस के नेता तक यह अच्छी तरह समझते हैं कि अब इस देश में आरक्षण व्यवस्था समाप्त नहीं हो सकती है। लेकिन मनमोहन वैद्य के कथित बयान की आड़ में विपक्षी दल उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों का चुनाव जीतना चाहते हैं। हालांकि वैद्य ने 20 जनवरी की रात को ही अपने बयान पर सफाई दे दी थी। वैद्य ने साफ कहा कि आरक्षण व्यवस्था समाप्त नहीं हो सकती। इतना ही नहीं दबाव में वैद्य ने यह भी कह दिया कि समाज में अभी भी पिछड़े वर्ग के लोगों के साथ भेदभाव होता है।
वामपंथियों के चक्कर में फंसे वैद्य:
आरक्षण को लेकर जो बवाल शुरू हुआ है, वह बयान वैद्य ने जयपुर में चल रहीे लिटरेचर फेस्टिवल में दिया था। सब जानते हैँ कि ऐसे लिटरेचर फेस्टिवलों पर वामपंथी विचार धारा वाले लोगों का कब्जा होता है। आम तौर परराष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ऐसे फेस्टिवलों से दूर ही रहता है, लेकिन इस बार संघ के दो शीर्ष नेता जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में पहुंच गए। वामपंथियों ने ऐसा सवाल दागा कि वैद्य फंस गए हैं।
एस.पी.मित्तल) (21-01-17)
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