पुष्कर घाटी में चलते ट्रेलर में आग लगने से अजमेर ट्रैफिक पुलिस के भ्रष्टाचार की पोल खुली। कलेक्टर के आदेश की भी धज्जियां उड़ाती है पुलिस।

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31 जनवरी को प्रात: 10 बजे सीमेन्ट से लदा एक ट्रेलर अजमेर शहर से होता हुआ जब पुष्कर घाटी से गुजर रहा था कि तभी संतुलन बिगड़ गया और टे्रलर पहाड़ी से टकरा गया। पहाड़ी से भिड़ते ही ट्रेलर की पेट्रोल की टंकी में आग लग गई और देखते ही देखते पूरा ट्रेलर राख हो गया। इस हादसे से एक तो बार पूरी घाटी में दहशत का माहौल हो गया। घाटी के दोनों ओर वाहनों की लम्बी कतार लग गई। रोजाना अजमेर पुष्कर के बीच आवागमन करने वालों को भी भारी परेशानी हुई। ट्रेलर की आग शांत होने के बाद ही घाटी का यातायात शुरू हो सका। हालांकि इस हादसे में कोई जनहानि नहीं हुई क्योंकि टेलर के टकराते ही चालक और खलासी भी बाहर निकल आए थे। लेकिन सवाल उठता है कि आखिर सीमेन्ट के कट्टों से भरा ट्रेलर घाटी तक कैसे पहुंचा? विगत दिनों ही अजमेर के जिला कलेक्टर गौरव गोयल ने एक आदेश जारी कर घाटी से भारी वाहनों के गुजरने पर प्रतिबंध लगा दिया था। तब प्रशाासन की ओर से यह कहा गया कि भारी वाहनों के गुजरने से पुष्कर घाटी में दुर्घटना होने की संभावना बनी रहती है। चूंकि अजमेर से पुष्कर अथवा आगे नागौर, बीकानेर जाने के लिए बाईपास मार्ग बना हुआ है, इसलिए भारी वाहन बाईपास मार्ग का ही उपयोग करे। भारी वाहन पुष्कर घाटी से न गुजरे, इसकी जिम्मेदारी अजमेर ट्रैफिक पुलिस की है। सब जानते हैं कि पुष्कर घाटी से पहले रीजनल कॉलेज तिराहे पर ट्रैफिक पुलिस की चैक पोस्ट भी है। स्वाभाविक है कि 31 जनवरी को जब सीमेन्ट से भरा ट्रेलर रीजनल कॉलेज तिराहे से गुजरा होगा तो ट्रैफिक पुलिस ने भी देखा होगा। सब जानते हैं कि जब महात्मा गांधी की फोटो वाले नोट नजर आते हैं तो सरकारी कारिन्दों की आंखों की रोशनी बंद हो जाती है। यही वजह रही है कि जब ट्रेलर रीजनल कॉलेज के तिराहे से घाटी की ओर बढ़ा तो कलेक्टर गोयल का प्रतिबंध का आदेश भी धरा रह गया। एसपी डॉ. नितिनदीप ब्लग्गन माने या नहीं लेकिन गांधी छाप नोटों की वजह से अजमेर ट्रैफिक पुलिस का बहुत बुरा हाल है। सवाल घाटी से भारी वाहनों के आवागमन का ही नहीं है बल्कि शहर में चलने वाले टेम्पो, सिटी बस, वीडियो कोच आदि वाहनों का भी है। धड़ल्ले से मासिक वसूली होती है। ट्रैफिक पुलिस के हालात सुधारने की जिम्मेदारी अजमेर शहर के दोनों विधायक वासुदेव देवनानी और श्रीमती अनिता भदेल की भी है। लेकिन न जाने क्यों यह दोनों राजनेता चुप्पी साधे हुए हैं। पिछले ढ़ाई वर्षों से जिन अधिकारियों के हाथों में ट्रैफिक पुलिस की कमान है, उसमें अब आमूल-चूल परिवर्तन की जरूरत है, नहीं तो पुष्कर घाटी जैसे हादसे होते रहेंगे। एसपी ब्लग्गन को ट्रैफिक पुलिस के बड़े अधिकारियों से यह पूछना चाहिए कि घाटी से भारी वाहनों का आवागमन कैसे हो रहा है?
(एस.पी.मित्तल) (31-01-17)
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