तो महबूबा अपनी राजनीति का असली चेहरा अब दिखा रही हैं। आखिर कैसे सुधरेंगे कश्मीर के हालात। =

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नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र की भाजपा सरकार ने गत वर्ष लोकसभा में यह स्पष्ट कर दिया कि कश्मीर से धारा 370 को हटाने की कोई पहल नहीं की जा रही है। तब पूरे देश में भाजपा की आलोचना हुई क्योंकि हर चुनाव में भाजपा धारा 370 हटाने का मुद्दा उछालती है, लेकिन इसके बावजूद 31 जनवरी को जम्मूकश्मीर की सीएम महबूबा मुफ्ती ने विधानसभा में कहा कि धारा 370 का विरोध करने वाले देशद्रोही हैं। सवाल उठता है कि आखिर महबूबा को यह बात कहने की क्या आवश्यकता थी? वह भी तब जब महबूबा भाजपा के विधायकों के समर्थन से सीएम बनी बैठीं हंै। सब जानते हैं कि जब जम्मू कश्मीर में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस की सरकार होती है तो महबूबा और उनकी पीडीपी अलगाववादियों के साथ खड़ी नजर आती है। यही वजह रही कि जब कश्मीर में पीडीपी और भाजपा की गठबंधन सरकारी बनी तो पूरे देश में भाजपा की आलोचना हुई। बार-बार भाजपा की किरकिरी होने के बाद भी भाजपा-पीडीपी की सरकार को टिकाए हुए है। भाजपा की ओर से धारा 370 हटाने की मांग न किए जाने के बाद भी महबूबा देशद्रोही वाला बयान देती हैं तो प्रतीत होता है कि अब महबूबा ने अपनी राजनीति का असली चेहरा दिखाना शुरू कर दिया है। भाजपा कश्मीर के वर्तमान राजनीतिक हालातों से कैसे निपटती है, इसका पता आने वाले दिनों में चलेगा। कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस का तो प्रयास है कि पीडीपी और भाजपा के मतभेद सड़क पर आ जाएं। इसलिए एक फरवरी को पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने ऐसा हंगामा करवाया, जिसमें विधानसभा में टेबल-कुर्सिया फेंके गए। आतंकी बुरहान बानी के एनकाउंटर के चार माह बाद भी घाटी के हालात सामान्य नहीं हुए और अब महबूबा के बेमतलब के बयान से राजनीतिक अस्थिरता उत्पन्न हो गई है। इसमें को दो राय नहीं कि महबूबा ने घाटी में पत्थर बाजों के खिलाफ कार्यवाही करने में अच्छी पहल की थी। कश्मीर में अमन चैन बना रहे, इसकी जिम्मेदारी सीएम होने के नाते महबूबा की भी है। घाटी में राजनीतिक अस्थितरा होने से आतंकवादियों और अलगाववादियों को ही फायदा होगा।
एस.पी.मित्तल) (02-02-17)
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