ऐसे चुनाव प्रचार के बंद होने का क्या मतलब है? राजनीतिक दलों के भोपू बने हुए न्यूज चैनल।
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ऐसे चुनाव प्रचार के बंद होने का क्या मतलब है? राजनीतिक दलों के भोपू बने हुए न्यूज चैनल।
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चुनाव आयोग के मुताबिक 9 फरवरी को सायं 5 बजे यूपी की 73 सीटों पर चुनाव प्रचार बंद हो गया है। इन सीटों पर चुनाव लडऩे वाला कोई भी उम्मीदवार न तो जनसभा कर सकेगा और ना ही माइक लगाकर नारेबाजी। लेकिन सवाल उठता है कि ऐसे चुनाव प्रचार के बंद होने का क्या मतलब है। यूपी में 403 सीटों पर 7 चरणों में मतदान होना है यानि 9 फरवरी को पहले चरण का चुनाव प्रचार बंद हो जाने के बाद भी 330 सीटों पर चुनाव प्रचार धड़ल्ले से होता रहेगा। सब जानते हैं कि चुनावों में टीवी चैनलों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो गई है। जिन सीटों पर चुनाव प्रचार जारी है, उनमें जनसभाएं, रैली, रोड शो आदि हो ही रहे हैं। इन सबका प्रसारण भी चैनलों पर उन सीटों के मतदाता भी देख रहे हैं, जहां 9 फरवरी को चुनाव प्रचार बंद हो चुका है। यूपी के मतदाता भी इस बात का एहसास कर रहे होगें कि टीवी चैनल राजनीतिक दलों के भोंपू बने हुए हैं। ऐसे में भले ही चुनाव आयोग की नजर में चुनाव बंद हो गया हो, लेकिन हकीकत में 11 फरवरी को मतदान वाले दिन भी चैनलों के माध्यम से प्रसार होता रहेगा। इस तरह चुनाव प्रचार का बंद होना निर्दलीय प्रत्याशियों पर तो असरकारी होगा परन्तु राजनीतिक दल न्यूज चैनलों पर सीधे प्रसारण, विज्ञापनों तथा अन्य तरीकों से चुनाव प्रचार बदस्तूर जारी रख सकेंगे।
एस.पी.मित्तल) (09-02-17)
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