15 मंजिली इमारत जितनी ऊंचाई और 320 टन वजन वाले रॉकेट में 104 उपग्रह अंतरिक्ष में भेजे। कमाल कर दिया भारतीय वैज्ञानिकों ने।

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देश के पांच राज्यों के चुनाव में जहां राजनेता एक-दूसरे को नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं, वहीं 15 फरवरी को भारत के वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष के इतिहास में भारत का नाम रोशन कर दिया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केन्द्र (इसरो) ने 15 मंजिला इमारत की ऊंचाई और 320 टन वजन का पीएसएलवी रॉकेट तैयार किया तथा इससे अमरीका के 96 तथा इजराइल, कजाकिस्तान, नीदरलैंड, स्विटजरलैंड और यूएई के एक-एक उपग्रह भरे तथा निशाना साधते हुए सभी 104 उपग्रहों को अंतरिक्ष में अपनी-अपनी कक्षाओं में स्थापित किया। अंतरिक्ष के इतिहास में यह पहला अवसर है, जब एक साथ 104 उपग्रह स्थापित किए गए हैं। अब तक रुस का 37 उपग्रह का कीर्तिमान है। इसमें कोई दो राय नहीं कि आज भारतीय वैज्ञानिकों ने कमाल कर दिया है। वैज्ञानिकों की योग्यता का अंदाजा इसी से लगाया जाता है कि हमने अमरीका जैसे विकसित देश के 96 उपग्रह भेजे हैं। इसका कारण भारतीय उपग्रह कार्यक्रम की अपनी विकसित तकनीक है जो विदेशी तकनीक की तुलना में बहुत ही किफायती है। इसका अंदाजा इस बात से लग सकता है कि अमरीकी एजेंसी नासा जितना धन किसी एक प्रोजेक्ट पर खर्च करती है, उतने में इसरो का चालीस वर्ष तक कार्य संचालन हो जाता है। इस प्रकार के सफल अभियानों से भारत अंतरिक्ष में महाशक्ति बनने के साथ-साथ उपग्रह प्रक्षेपण व्यवसाय में भी बड़ा खिलाड़ी बन गया है।
(एस.पी.मित्तल) (15-02-17)
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