कश्मीर के अलगाववादियों के हिमायतियों को पाकिस्तान की सेना से सबक लेना चाहिए। ====================
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पाकिस्तान की अली शाहबाज कलंदर की दरगाह में 16 फरवरी को हुए विस्फोट के बाद पाकिस्तान की सेना ने चुन-चुन कर 100 से भी ज्यादा आतंकवादियों को मार गिराया। यानि आईएस के आतंकियों ने दरगाह में जो कृत्य किया, उसका बदला पाक सेना ने सख्ती के साथ लिया। दरगाह में हुए विस्फोट में भी सौ से ज्यादा मुसलमानों की मौत हुई और कोई तीन सौ मुसलमान जख्मी हालात में अस्पतालों में भर्ती हैं। पाकिस्तान की सेना ने सख्ती की जो कार्यवाही की,उसका पाकिस्तान के किसी भी राजनीतिक दल ने विरोध नहीं किया। लेकिन वहीं हमारे सेना अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने जब कश्मीर के अलगाववादियों के साथ सख्ती बरतने की बात कही तो कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसे राजनीतिक दलों ने एतराज किया। जनरल रावत का यह कहना था कि कश्मीर में जब सुरक्षा बलों के जवान आतंकियों से मुकाबला करते हैं तब अलगाववादी, आतंकियों की ही मदद करते हैं। जिस प्रकार आतंकियों को घरों में संरक्षण दिया जाता है उससे सुरक्षा बलों के जवानों को भारी जानमाल का नुकसान होता है। सवाल उठता है कि क्या जो लोग आतंकियों की मदद कर रहे हैं उनके साथ नरमी बरती जा सकती है? देश में लम्बे समय तक कांग्रेस का राज रहा। कश्मीर में भी अधिकांश कांग्रेस के समर्थन से ही सरकार बनी। स्वाभाविक है कि कांग्रेस ने भी कश्मीर के युवाओं को मुख्य धारा से जोडऩे का प्रयास किया होगा, लेकिन आज हम कश्मीर के जो हालात देख रहे हैं, उसमें अलगाववादियों और आतंकवादियों के बीच ऐसा गठजोड़ हो गया है, जो अब और मजबूत होता जा रहा है। कांग्रेस के विरिष्ठ नेता और कश्मीर के सीएम रहे गुलाम नबी आजाद आज अलगाववादियों से वार्ता करने की बात कह रहे हैं। लेकिन वे यह नहीं कहते है कि अलगाववादियों को आतंकियों की मदद नहीं करनी चाहिए। सब जानते हैं कि कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी जैसे दलों की नीतियों की वजह से ही कश्मीर घाटी हिन्दू विहीन हो गई। चार लाख से भी ज्यादा हिन्दुओं को पीट-पीट कर कश्मीर घाटी से भगा दिया। घाटी में एक तरफा माहौल की वजह से कोई भी हिन्दू वापस अपने घरों में जाने की हिम्मत नहीं कर सकता। ऐसे हालातों में भी जो राजनेता कश्मीर के अलगाववादियों के हिमायती बने हुए हैं, उन्हें पाकिस्तान की सेना की ताजा कार्यवाही से सबक लेना चाहिए। जब दरगाह में विस्फोट के बाद पाक सेना सौ आतंकियों को मार सकती है तो फिर कश्मीर में आतंकियों की मदद करने वाले अलगाववादियों पर कार्यवाही क्यों नहीं हो सकती? पाकिस्तान से ज्यादा सूफी मुसलमान भारत में हैं। जब आईएस के आतंकी पाकिस्तान के सूफी संत अली शाहबाज कलंदर की दरगाह में विस्फोट कर सकत है तो भारत में भी सूफी संतों की दरगाह में ऐसे विस्फोट हो सकते हैं। देश की प्रमुख खुफिया एजेंसियों का मानना है कि भारत में आईएस लगातार सक्रिय हैं।
(एस.पी.मित्तल) (18-02-17)
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