कांग्रेस हिन्दू विरोधी नहीं है।

कांग्रेस हिन्दू विरोधी नहीं है।
सीएए के विरोध पर राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने सफाई दी।
लेकिन फिर भी सीएए को एनआरसी से जोड़ा। 

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शायद कांग्रेस को अब यह डर सताने  लगा है कि संशोधित नागरिकता कानून के विरोध करने से हिन्दू मतदाता नाराज हो रहे हैं। इसलिए अब कांग्रेस के बड़े नेताओं ने सफाई देना शुरू कर दिया है। 12 जनवरी को भीलवाड़ा में मीडिया से संवाद करते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री और कांगे्रस की राष्ट्रीय राजनीति में दखल रखने वाले अशोक गहलोत ने कहा कि भाजपा के लोग कह रहे हैं कि सीएए के विरोध की आड़ में कांग्रेस हिन्दुओं का विरोध कर रही है। कांगे्रस को लगातार हिन्दू विरोधी बताया जा रहा है। कांग्रेस को पाकिस्तान से आए हिन्दू, सिक्ख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता देने पर कोई एतराज नहीं है। लेकिन सीएए के बाद जब एनआरसी करवाई जाएगी तो देश भर में असम जैसे हालात होंगे। गहलोत ने कहा कि एनआरसी के अंतर्गत असम के लोगों से माता-पिता के जन्म प्रमाण पत्र मांगे गए। इसमें मुसलमानों के साथ-साथ हिन्दू भी शामिल रहे। जिन लोगों ने बुजुर्ग माता-पिता के जन्म प्रमाण पत्र नहीं दिए उन्हें नागरिकता के दायरे में शामिल नहीं किया गया। एनआरसी से आम लोगों को नोटबंदी की तरह लाइन में खड़ा होना पड़ेगा। गहलोत ने कहा कि लोगों का ध्यान देश में आर्थिक मंदी बेरोजगारी, महंगाई आदि की समस्याओं से हटाने के लिए सीएए, एनआरसी जैसे मुद्दे लाए जा रहे हैं।
गहलोत के बयान से प्रतीत हो रहा था कि अब कांग्रेस को हिन्दू मतदाताओं की नाराजगी का डर सता रहा है, क्योंकि संशोधित नागरिकता कानून का विरोध करने का मतलब है कि पाकिस्तान से धर्म के आधार पर प्रताडि़त होकर आए हिन्दू, सिक्ख, जैन, ईसाई, बौद्ध व पारसी समुदाय के लोगों का विरोध करना है। सीएए किसी भी मुसलमान की नागरिकता पर कोई असर नहीं डालेगा, क्योंकि यह कानून नागरिकता देने का है, छीनने का नहीं। सब जानते हैं कि पाकिस्तान से हिन्दू समुदाय के लोगों पर किस तरह जुल्म होते हैं। गुरुद्वारों से सिक्ख समुदाय की लड़कियों को जबरन उठा कर ले जाया जाता है। देश के विभाजन के समय पाकिस्तान में 23 प्रतिशत अल्पसंख्यक थे, जो आज मात्र तीन प्रतिशत रह गए हैं। यदि पाकिस्तान में हिन्दुओं पर जुल्म नहीं होते तो आबादी भी बढ़ती। जुल्मों से तंग आकर ही ऐसे हिन्दू, सिक्ख आदि ने भारत में शरण ली है। संशोधित कानून से ऐसे शरणार्थियों को ही भारत की नागरिकता मिलेगी। देश का आम हिन्दू भी चाहता है कि पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिले। शरणार्थियों को नागरिकता देने का विरोध करने का मतलब है कि हिन्दुओं को जुल्म सहने के लिए पाकिस्तान में ही छोड़ दिया जाए। उधर पाकिस्तान में हिन्दुओं की रक्षा नहीं हो रही और इधर भारत में नागरिकता नहीं दी जाएगी तो फिर प्रताडि़त हिन्दू कहां जाएगा? इस सवाल का जवाब उन लोगों को देना चाहिए जो सड़कों पर आकर सीएए का विरोध कर रहे हैं।
एस.पी.मित्तल) (13-01-2020)
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