अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच बंटा है राजस्थान का मंत्रिमंडल।

अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच बंटा है राजस्थान का मंत्रिमंडल।
प्रताप सिंह खाचरियावास और लालचंद कटारिया भी केबिनेट मंत्री बने।
अटल सेवा केन्द्र फिर से होंगे राजीव के नाम पर-मास्टर भंवरलाल।
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24 दिसम्बर को राजस्थान में 13 केबिनेट और 10 राज्यमंत्रियों ने शपथ ले ली। मंत्रियों के चयन में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने कोई भी फार्मूला लगाया हो, लेकिन मंत्रिमंडल सीएम अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम पायलट के बीच बंटा है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण लालचंद कटारिया और प्रताप सिंह खाचरियावास का केबिनेट मंत्री बनना है। प्रदेश में विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद कटारिया ने गहलोत को सीएम पद का चेहरा घोषित करने की मांग की थी। कटारिया का यहां तक कहना रहा कि यदि गहलोत को सीएम का चेहरा घोषित नहीं किया गया तो प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनना मुश्किल है। कटारिया के इस बयान पर तब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने भी नाराजगी जताई थी। पायलट के समर्थकों ने कटारिया के विरुद्ध कार्यवाही करने की मांग भी की। विरोध के बाद भी कटारिया अपने बयान पर कायम रहे। इसी प्रकार जब अशोक गहलोत ने सीएम पद के लिए छह दावेदारों के नाम घोषित कर दिए तो प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि अशोक गहलोत कौन होते हैं सीएम तय करने वाले? खाचरियावास ने कहा कि पांच वर्षों से पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस संघर्ष कर रही है। जाहिर था कि कटारिया अपने बयान से पायलट के और खाचरियावास अपने बयान से गहलोत के नेतृत्व को चुनौती दे रहे थे। यदि गहलोत अकेले मंत्रियों का चयन करते तो खाचरियावास केबिनेट मंत्री की शपथ नहीं ले सकते थे। इसी प्रकार यदि डिप्टी सीएम पायलट की चलती तो कटारिया मंत्रिमंडल से बाहर हो जाते। जाहिर है कि गहलोत और पायलट अपने अपने समर्थकों को मंत्री बनवाने में सफल रहे है। जो विधायक पायलट की सिफारिश से मंत्री बने हैं वे पायलट को ही सीएम मानेंगे। मालूम हो कि सीएम पद को लेकर भी गहलोत और पायलट में घमासान हुआ था। बाद में पायलट को डिप्टी सीएम बनाने पर सहमति बनी। इसके बाद मंत्रियों को लेकर भी खींचतान हुई। जिस प्रकार सीएम का विवाद दिल्ली में राहुल गांधी के समक्ष सुलझाया गया, उसी प्रकार मंत्रियों का विवाद भी राहुल गांधी के समक्ष सुलझा। यानि छोटे-छोटे विवाद भी अब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पास जा रहे हैं।
फिर होंगे राजीव सेवा केन्द्र:
केबिनेट मंत्री की शपथ लेने के बाद मास्टर भंवरलाल मेघवाल ने कहा कि अटल सेवा केन्द्रों का नाम फिर से राजीव गांधी के नाम पर रखा जाएगा। पूर्व में अशोक गहलोत की सरकार ने ग्राम पंचायत स्तर पर राजीव गांधी सेवा केन्द्रों की स्थापना की थी, लेकिन पिछली भाजपा सरकार ने इन केन्द्रों का नाम बदल दिया। वे जल्द ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समक्ष सेवा केन्द्रों का नाम बदलने का प्रस्ताव रखेंगे।
एस.पी.मित्तल) (24-12-18)
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