मुसलमानों पर चीन का दोहरा चरित्र उजागर। लम्बी दाढ़ी रखने, महिलाओं के बुर्का पहनने आदि पर भी रोक लगाई। ======================
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सब जानते हैं कि चीन हमारे कश्मीर में पाक अधिकृत कश्मीर के जरिए उन लोगों की मदद करता है, जो भारतीय सुरक्षा बलों पर पत्थर फैंकते हैं। इतना ही नहीं पाकिस्तान से घुसने वाले आतंकवादियों को भी प्रशिक्षण और हथियार दिए जाते हैं। इधर पीओके के जरिए हमारे कश्मीर में अलगाववाद की आग सुलगाई जाती है तो उधर चीन अपने शिन्जियांग प्रांत में इस्लामी चरमपंथ को कुचलने के लिए हर रास्ता अख्तियार कर रहा है। शिन्जियांग प्रांत में मुसलमानों की जनसंख्या न बढ़े, इसके लिए यहां हान जाति के चीनी नागरिकों को बसा दिया गया है। पिछले दिनों शिन्जियाग प्रांत में मुस्लिम चरमपंथियों ने जो हिंसक घटनाएं की, उनको देखते हुए चीन ने एक अप्रेल से कड़े कानून लागू कर दिए हैं। इसके अन्तर्गत अब कोई भी मुसलमान लम्बी दाढ़ी नहीं रख सकेगा और न ही महिला बुर्का पहन सकेगी। पासपोर्ट के लिए भी यहां के मुसलमानों को अब डीएनए टेस्ट करवाना होगा। इतना ही नहीं बच्चे भी सिर्फ सरकारी स्कूल में प्रवेश ले सकेंगे और सभी मुसलमानों को चीन सरकार की परिवार कल्याण नीतियों का पालन करना होगा। निकाह भी चीन के कानून के अनुरूप ही होगा। कोई भी मुसलमान सरकारी टीवी और रेडियो सुनने से मना नहीं कर सकता है। यानि चीन सरकार ने साफ कर दिया है कि मुसलमानों को चीन के कानून के अन्तर्गत ही रहना पड़ेगा। कश्मीर घाटी में जो लोग अलगाववादियों के हिमायती हैं, उन्हें चीन की नीति से थोड़ा सबक लेना चाहिए। यह माना कि भारत में लोकतंत्र है और कश्मीर में धारा 370 की विशेष सुविधाएं हैं, लेकिन चीन नहीं चाहता कि उसके शिन्जियांग प्रांत के मुसलमान भारत के कश्मीर की तरह पाकिस्तान में शामिल होने या फिर आजादी की मांग करे। चीन में अपनी दमनकारी नीतियों के तहत इस बात का भी ख्याल रखा कि शिन्जियांग प्रांत के हालात भारत के कश्मीर जैसे न बने। इसलिए चीन ने हान जाति के चीनी नागरिकों को योजनाबद्व तरीके से बसा दिया। आज शिन्जियांग प्रांत में प्रमुख सरकारी पदों पर हान जाति के लोग ही बैठे हुए हैं। पाकिस्तान को भी लगता है कि भारत के मुकाबले मेें चीन उसका हमदर्द है। यदि चीन की सहानुभूति मुस्लिम राष्ट्र पाकिस्तान के साथ होती तो अपने यहां चीन मुसलमानों पर अत्याचार नहीं करता।
वामपंथी अब क्यों नहीं करते विरोध :
भारत में वामपंथी विचारधारा के राजनेता और तथाकथित बुद्धिजीवी अलगाववादियों की हिमायत करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। इसी के अंतर्गत दिल्ली में जेएनयू में कश्मीर की आजादी और भारत तेरे टुकड़े होगे जैसे नारे भी लगवा दिए। लेकिन शिन्जियांग प्रांत में मुसलमानों पर जो अत्याचार हो रहे हैं, उन पर भारत के वामपंथी खामोश हैं। क्या शिन्जियांग प्रांत के हालातों पर वामपंथियों का विरोध नहीं बनता? हमारे देश के नागरिकों को वामपंथियों की इस सोच को समझना चाहिए। वामपंथी भी यह अच्छी तरह समझ लें कि भारत की एकता और अखण्डता बनी रहने पर ही उनका महत्व है।
(एस.पी.मित्तल) (03-04-17)
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