काम नगर निगम का, चिंता अजमेर विकास प्राधिकरण को। अवैध बूचडख़ानों और मांस की बिक्री पर अजीब तमाशा। =======================

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अजमेर शहर में कथित रूप से चल रहे अवैध बूचडख़ानों को बंद करवाने तथा लाइसेंस लिए बगैर मांस की बिक्री को रोकने का काम नगर निगम का है। निगम के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को सब पता है कि किन स्थानों पर अवैध बूचडख़ाने हैं तथा किन स्थानों पर अवैध रूप से मांस की बिक्री हो रही है। लेकिन इस मुद्दे पर चिंता अजमेर विकास प्राधिकरण को हो रही है, जबकि नगर निगम और प्राधिकरण दोनों पर ही भाजपा काबिज है। जो काम नगर निगम का है, उसको लेकर प्राधिकरण के अध्यक्ष शिव शंकर हेड़ा ने एक पत्र कलेक्टर गौरव गोयल को लिखा है। पत्र में मांग की गई है कि नागरिकों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए अवैध बूचडख़ाने और अवैध रूप से हो रही मांस की बिक्री पर रोक लगाई जाए। समझ में नहीं आता कि प्राधिकरण के अध्यक्ष हेड़ा को कौन सलाह दे रहा है। हेड़ा प्राधिकरण के अध्यक्ष ही नहीं, बल्कि सत्तारुढ़ भाजपा के जिम्मेदार नेता भी हैं। यदि हेड़ा की नजर से कोई कार्य अवैध हो रहा है तो उसको लेकर मीडिया में प्रचार करने की जरुरत क्या है? हेड़ा ने जिन कलेक्टर गोयल को पत्र लिखा है, वो ही गोयल प्राधिकरण के आयुक्त भी हैं। क्या हेड़ा आपने ही आयुक्त को मौखिक तौर पर कोई बात नहीं कह सकते? हेड़ा को यह समझना चाहिए कि वे सत्तारुढ़ पार्टी के नेता है और अवैध कामों को रोकने की जिम्मेदारी उन्हीं की है। अवैध कामों को स्वीकार कर आखिर हेड़ा अपनी सरकार के संबंध में क्या संदेश देना चाहते हैं?
हेड़ा ने जिस तरह से कलेक्टर को पत्र लिखा है। उससे यह भी प्रतीत होता है कि भाजपा के शासन वाला नगर निगम भी अपना काम नहीं कर रहा है। इस संबंध में हेड़ा को विश्व हिन्दू परिषद की ओर से जो पत्र दिया गया, उसमें प्राधिकरण की भूमि पर लगी मांस की अवैध केबिनों को हटाने की मांग की गई थी। सवाल उठता है कि प्राधिकरण की भूमि पर लगी अवैध केबिनों को हटाने से हेड़ा को कौन रोक रहा है? अच्छा होता कि हेड़ा अधिकारियों को आदेश देकर अवैध केबिनों को तुरंत हटवा देते, लेकिन ऐसा करने के बजाए हेड़ा ने अपनी जिम्मेदारी को जिला कलेक्टर के गले में डाल दिया है। सवाल यह भी उठता है कि हेड़ा ने ऐसा पत्र नगर निगम को क्यों नहीं लिखा?
(एस.पी.मित्तल) (07-04-17)
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