धौलपुर में जीत दर्ज करवा कर अपने विरोधियों का फिर मुंह बंद किया वसुंधरा राजे ने।
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13 अप्रेल को राजस्थान के धौलपुर उप चुनाव में भाजपा उम्मीदवार श्रीमती शोभारानी कुशवाह की जीत दर्ज करवाकर सीएम वसुंधरा राजे ने अपने विरोधियों का एक बार फिर मुंह बंद कर दिया है। 38 हजार 648 मतों की जीत यह बताती है कि धौलपुर में कांग्रेस मुकाबले में नहीं थी। धौलपुर का उप चुनाव शुरू से ही सीएम राजे की प्रतिष्ठा से जुड़ गया था। यह इसलिए भी खास रहा कि धौलपुर सीएम राजे का ससुराल है। इसीलिए धौलपुर का महल ही भाजपा उम्मीदवार का चुनाव कार्यालय बना। राजे ने महल में बैठकर ही रणनीति बनाई। यदि इस चुनाव में भाजपा की हार हो जाती तो भाजपा में ही राजे को हटाने की चर्चा शुरू हो जाती। भाजपा की राजनीति में जब भी कोई हलचल होती है तो राजे को हटाने की चर्चा शुरू हो जाती है। अभी हाल ही में यूपी में भाजपा की जीत मिली तो रातों-रात प्रदेश भर में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर के फोटो वाले होर्डिंग लग गए। भाजपा की राजनीति में माथुर को ही राजे के विकल्प पर देखा जाता है। कांग्रेस के इस्तीफा मांगने से पहले भाजपा में ही राजे को हटाने की चर्चा शुरू हो जाती है। धौलपुर में शानदार जीत दर्ज करवाकर राजे ने विरोधियों का तो मुंह बंद किया ही है। साथ ही अपनी सीएम की कुर्सी भी मजबूत कर ली है। किसी भी राजनेता की स्थिति को चुनाव के परिणाम से आंका जाता है। पहले विधानसभा के चुनाव में भाजपा को 160 सीटे मिली तो लोकसभा के चुनाव में राजस्थान की सभी 25 सीटों पर भाजपा की जीत हुई। हालांकि बाद में नसीराबाद उप चुनाव में भाजपा हारी, लेकिन इस बार धौलपुर के चुनाव में राजे ने कोई जोखिम नहीं ली। नसीराबाद के चुनाव में यदि सांसद सावरलाल जाट के बेटे को टिकट दे दिया जाता तो भाजपा को हार का सामना नहीं करना पड़ता। लेकिन तब दिल्ली से फरमान आया था कि सांसदों के रिश्तेदारों को उम्मीदवार नहीं बनाया जाएगा। जो गलती नसीराबाद में की, उसे धौलपुर में नहीं दोहराया गया। राजे ने धौलपुर में बसपा के विधायक बी.एल. कुशवाह की पत्नी शोभारानी कुशवाह को ही उम्मीदवार बनाया। हत्या के आरोप में 5 वर्ष से अधिक की सजा हो जाने के कारण कुशवाह की विधायकी छिन गई थी। सीएम राजे को पता था कि हत्या के आरोपी कुशवाह की पत्नी ही भाजपा को जीत दिलवा सकती है, इसलिए नैतिकता को ताक में रखकर राजे ने राजनीति की, और जीत दर्ज करवा दी। जो लोग सत्ता के दुरूपयोग का आरोप लगाते हैं, उन्हें यह समझना चाहिए कि जीत का सबसे बड़ा कारण शोभारानी कुशवाह का भाजपा का उम्मीदवार बनना है। यानि साम, दाम, दण्ड, भेद की नीति अपनाकर सीएम राजे ने अपने विरोधियों का मुंह बंद कर दिया है।
(एस.पी.मित्तल) (13-04-17)
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