काशी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वे पर एतराज क्यों? क्या सच सामने आने का डर है? यह सदभावना की मिसाल ही है कि मुस्लिम पक्ष के वकील अभय यादव हैं। 1664 में मुगल शासक औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़ा था, तभी मस्जिद बनी।

अदालत ने आदेश दिए हैं कि वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे किया जाए। सर्वे की वीडियोग्राफी भी करवाई जाए। इसके लिए अदालत ने वकील अजय मिश्रा को कमिश्नर नियुक्त किया है। कोर्ट के आदेश पर 6 मई को जब कमिश्नर सर्वे करने के लिए मस्जिद परिसर में पहुंचे तो मुस्लिम पंथ के अनेक लोगों ने ऐतराज किया। हालांकि विरोध के बाद भी सर्वे का काम शुरू हुआ, लेकिन सर्वे का कार्य अधूरा रहा। 7 मई को भी सर्वे का काम होना है, लेकिन इससे पहले ही मुस्लिम पक्ष ने कमिश्नर अजय मिश्रा पर भेदभाव का आरोप लगा दिया है। अब कमिश्नर को बदलने की मांग की गई है। सवाल उठता है कि वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वे का विरोध क्यों किया जा रा है? क्या सच सामने आने का डर है? ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे धार्मिक स्थिति क्या है?, यह गहन जांच पड़ताल के बाद ही पता चलेगा, लेकिन इतिहास गवाह है कि अत्याचारी मुगल शासक औरंगजेब ने 1664 में वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़ा था, तब मंदिर के गर्भगृह में ज्योतिर्लिंग भी बताया गया। चूंकि यह ज्योतिर्लिंग मूल स्वरूप में रहा, इसलिए सनातन संस्कृति में काशी विश्वनाथ मंदिर का विशेष महत्व रहा। इतिहासकारों के अनुसार 1664 में ही काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में मस्जिद का निर्माण करवाया गया। जानकारों की मानें तो मस्जिद की इमारत के निर्माण में मंदिर भवन के अवशेष ही काम में आए हैं। यह सही है कि पिछले सैकड़ों वर्षों से मस्जिद में नमाज पढ़ी जा रही है, इसलिए मुस्लिम पक्ष ज्ञानवापी मस्जिद पर अपना हक मानता है। भले ही काशी विश्वनाथ मंदिर को औरंगजेब ने तोड़ा हो, लेकिन आज ज्ञानवापी मस्जिद की पैरवी वकील अभय यादव ही कर रहे हैं। अभय यादव ने मस्जिद की इंतजामिया कमेटी की ओर से कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्रा पर भेदभाव करने का आरोप लगाया है। 1664 में भले ही किसी मुसलमान ने काशी विश्वनाथ मंदिर को बचाने का प्रयास न किया हो, लेकिन आज हिन्दू समुदाय के अनेक लोग मस्जिद के पक्ष में खड़े हैं। मालूम हो कि वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निर्वाचन क्षेत्र हे। मोदी की पहल पर ही काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ। गंगा नदी और मंदिर के बीच जो कॉरिडोर बनाया गया है, उसका धार्मिक दृष्टि से खास महत्व है। इसे उत्तर प्रदेश शासन की समझदारी ही कहा जाएगा कि ज्ञानवापी मस्जिद के स्वरूप के साथ कोई छेडख़ानी किए बगैर मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है। इससे मस्जिद में जाने जाने का रास्ता भी सुगम हुआ है। बनारस में जहां पहले तंग गालियां थी, वहां अब मंदिर मार्ग पर चौड़ी सड़कें हैं।

S.P.MITTAL BLOGGER (07-05-2022)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9929383123To Contact- 9829071511

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