जोधपुर के उपभोक्ता भंडार का एमडी मधुसुदन शर्मा साढ़े पांच लाख रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार। दो हजार की नोट की वजह से रिश्वत लेना आसान।
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पीएम नरेन्द्र मोदी ने गत वर्ष 8 नवंबर को जब एक हजार रुपए के नोट को बंद करने की घोषणा की, तब एक कारण भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी को कम करना भी था। लेकिन 17 अप्रेल को जोधपुर के सहकारी उपभोक्ता भंडार के एमडी मधुसुदन शर्मा ने साढ़े पांच लाख रुपए की रिश्वत आसानी के साथ इसलिए ले ली कि उसमें अधिकांश नोट दो हजार रुपए के थे। हालांकि रिश्वत का यह मामला तो एसीबी की देखरेख में हो रहा था, लेकिन इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भ्रष्ट अफसर दो हजार रुपए की नोट की वजह से आसानी से रिश्वत ले रहे हैं। पहले दो लाख रुपए देने के लिए एक हजार के नोटों की दो गड्डियां चाहिए थी, लेकिन अब तो एक गड्डी से ही काम चल जाता है। 17 अप्रेल को जोधपुर एसीबी के एसपी अजय लांबा ने बताया कि एमडी शर्मा अपने दलाल के माध्यम से फार्मासिस्टों से वसूली करता था। एक फार्मासिस्ट राजेन्द्र कुमार सोनी की शिकायत पर ही शर्मा को रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया। लांबा ने बताया कि उपभोक्ता भण्डारों के माध्यम से ही मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना में सरकारी अस्पतालों में दवाएं सप्लाई होती हैं। विभिन्न कम्पनियों के फार्मासिस्ट उपभोक्ता भण्डार के अधिकारियों को रिश्वत देकर अपनी दवाओं की सप्लाई करते हैं।
(एस.पी.मित्तल) (17-04-17)
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