भीषण गर्मी में आंसू बहा रहा है तीर्थ गुरु पुष्कर का पवित्र सरोवर। वसुंधरा राजे भी नहीं ले रही हैं सुध। ==================

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भीषण गर्मी में आंसू बहा रहा है तीर्थ गुरु पुष्कर का पवित्र सरोवर। वसुंधरा राजे भी नहीं ले रही हैं सुध।
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राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सिंधिया परिवार का घाट भी पुष्कर सरोवर के किनारे बना हुआ है, लेकिन इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि भीषण गर्मी में तीर्थ गुरु पुष्कर का पवित्र सरोवर अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। 16 फीट की भराव क्षमता वाले सरोवर में मुश्किल से 4 फीट पानी रह गया है। इतने कम पानी में आने वाले श्रद्धालु किस प्रकार धार्मिक रस्मों को पूरा करते होंगे, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। ऐसा नहीं कि गर्मी में सरोवर का पानी भाजपा के शासन में ही कम हुआ है, कांग्रेस के शासन में भी ऐसी ही स्थिति रहती हैं। लेकिन कांग्रेस के शासन में भाजपा के नेता और तीर्थ पुरोहित सरकार को कोसते रहते हैं, लेकिन इस समय सभी लोग खामोश हैं। समाचार पत्रों में आए दिन पुष्कर के विकास की योजनाएं छपती रहती हैं। न जाने क्या-क्या योजनाएं पुष्कर में आने वाली हैं। लेकिन कोई भी यह समझने को तैयार नहीं है कि पुष्कर का धार्मिक महत्व पवित्र सरोवर से ही है। यदि सरोवर में पानी नहीं रहेगा तो फिर श्रद्धालु क्यों आएंगे? पहली प्राथमिकता सरोवर में वर्ष भर पानी भरे रहने की होनी चाहिए। सरोवर के पानी के लिए करोड़ों रुपया खर्च किया जा चुका है, लेकिन वर्तमान में 4 फीट का जलस्तर यह बताता है कि कितना रुपया भ्रष्टाचार में डूब गया।
ट्यूबवेल से डाला जाता है पानी :
श्रद्धालु पवित्र सरोवर में स्नान आदि कर सकें, इसके लिए जलदाय विभाग ट्यूबवेल के जरिए पानी सरोवर के कुंडों में डालता है। लेकिन 4 फीट का जल स्तर बता रहा है कि इन दिनों सरोवर में ट्यूबवेल के जरिए नाम मात्र का पानी ही डाला जा रहा है। 16 ट्यूबवेलों में से आठ तो बंद ही पड़े हैं। शेष 8 में से पेयजल की सप्लाई भी होती है। जलदाय विभाग का कोई भी इंजीनियर यह बताने को तैयार नहीं है कि सरोवर में प्रतिदिन कितना लीटर पानी डाला जा रहा है। यह बात अलग है कि विभाग के इंजीनियर झूठे आंकड़े देने में माहिर हैं।
विधायक और पालिका अध्यक्ष की जोड़ी भी चुप :
पुष्कर के भाजपा विधायक व संसदीय सचिव सुरेश सिंह रावत और नगर पालिका अध्यक्ष कमल पाठक की जोड़ी जगजाहिर है। लेकिन यह जोड़ी भी सरोवर के घटते जल स्तर पर खामोश है। पुष्कर कस्बे में भी पेयजल की किल्लत बनी हुई है, लेकिन रावत और पाठक ने समस्या के समाधान के ठोस प्रयास नहीं किए हैं। यदि भाजपा से जुड़े जनप्रतिनिधियों को कोई चिंता होती तो गर्मी शुरू होने से पहले बंद ट्यूबवेलों को शुरू करवाया जा सकता था। पालिका का दफ्तर तो सरोवर के किनारे ही बना हुआ है, लेकिन पालिका के अधिकारियों को भी सरोवर के आंसू नजर नहीं आ रहे हैं। पालिका के प्रबंधन का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है की स्थाई अधिशासी अधिकारी भी नहीं है। अजमेर नगर निगम के उपायुक्त गजेंद्र सिंह रलावता के पास ही पालिका के ईओ का चार्ज है। यानी सत्ता में होने के बाद भी रावत और पाठक की जोड़ी स्थाई ईओ की नियुक्ति तक नहीं करवा पा रही है।
विपक्ष का भी बुरा हाल :
पुष्कर की दुर्दशा पर प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के नेताओं का भी बुरा हाल है। कांग्रेस के शासन में मंत्री रहीं पूर्व विधायक श्रीमती नसीम अख्तर ने अभी तक भी सरोवर के घटते जल स्तर पर कोई आंदोलन नहीं किया है। श्रीमती अख्तर और उनके पति इंसाफ अली की चिंता दोबारा से टिकट हासिल करने तक ही सीमित है।
(एस.पी.मित्तल) (03-05-17)
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