निजीकरण के बाद भी कोटा में नहीं सुधरे बिजली के हालात। भाजपा सांसद करेंगे सीएम से शिकायत। तो फिर अजमेर में टाटा पावर को क्यों दिया जा रहा है काम?

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निजीकरण के बाद भी कोटा में नहीं सुधरे बिजली के हालात।
भाजपा सांसद करेंगे सीएम से शिकायत।
तो फिर अजमेर में टाटा पावर को क्यों दिया जा रहा है काम?
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3 जून को कोटा के सर्किट हाउस में भाजपा के सांसद ओम बिड़ला जब बिजली व्यवस्था को लेकर मीटिंग कर रहे थे कि तभी बिजली गुल हो गई। अधिकारियों ने निजी कंपनी के इंजीनियरों से गुहार लगाई, लेकिन फिर भी बिजली का फॉल्ट सही नही ंहो सका। कोई एक घंटे तक अंधेरे में ही मीटिंग करनी पड़ी। इस बैठक के दौरान ही सांसद बिड़ला ने माना कि निजीकरण के बाद भी कोटा में बिजली व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ है, बल्कि पहले से ज्यादा हालात बिगड़े हैं। निजी कंपनी के इंजीनियर आम उपभोक्ता की कोई सुनवाई नहीं करते। सांसद ने कहा कि अब वे प्रदेश की सीएम से शिकायत करेंगे। सवाल उठता है कि जब सत्तारुढ़ पार्टी के सांसद ही बिजली के निजीकरण से संतुष्ट नहीं है तो फिर अजमेर में बिजली व्यवस्था को टाटा पावर कंपनी को क्यों सौंपा जा रहा है? क्या यह अजमेर शहर के उपभोक्ताओं के साथ विश्वासघात नहीं है? अजमेर विद्युत निगम के अधिकारी बार-बार यह दावा कर रहे हैं कि टाटा पावर के पास बिजली सप्लाई का काम आ जाने के बाद व्यवस्था में सुधार हो जाएगा। निगम के अधिकारी यह मानते हैं कि वर्तमान में जो व्यवस्था बिगड़ी हुई है उसे निजी कंपनी ही सुधार सकती है, लेकिन कोटा में भाजपा के सांसद ने बिजली के निजीकरण की पोल खोलकर रख दी है। अजमेर के राजनेताओं खास कर भाजपा के सांसद, विधायकों व अन्य जनप्रतिनिधियों को कोटा के सांसद ओम बिड़ला से सबक लेना चाहिए। अच्छा हो कि सत्तारुढ़ पार्टी के नेता एकजुट होकर अजमेर में बिजली के निजीकरण का विरोध करें। अन्यथा जिस प्रकार अब कोटा में भाजपा के सांसद दुखी और परेशान हैं, उसी प्रकार आने वाले दिनों में अजमेर के भाजपा नेताओं को भी पछताना पड़ेगा। अजमेर में तो निगम के अफसरों की मिलीभगत से टाटा पावर को बहुत फायदा भी पहुंचाया गया। यदि एसीबी जांच करेे तो भ्रष्टाचार की पोल खुल जाएगी।
(एस.पी.मित्तल) (03-06-17)
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