डीएसपी अयूब की हत्या के बाद आज तक चैनल ने उठाया सवाल-गद्दारों की सुरक्षा कब तक? अवार्ड लौटाने और मोमबत्ती जलाने वाली गंैग जवाब दे।
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देश के लोकप्रिय न्यूज चैनल आज तक ने 24 जून को देश के सामने एक सवाल रखा है। 22 और 23 जून की रात को श्रीनगर में एक मस्जिद के बाहर जम्मू कश्मीर पुलिस के डीएसपी मोहम्मद अयूब की हत्या के संदर्भ में आज तक ने पूछा है कि…गद्दारों को सुरक्षा कब तक? असल में डीएसपी अयूब को जब उपद्रवी पीट रहे थे, तब अंदर मस्जिद में अलगाववादी नेता मीर वाइज बैठे हुए थे। ऐसा कई बार हुआ है, जब पाकिस्तान के हिमायती हुर्रियत के नेता खुलेआम कश्मीरियों को भड़काने वाली तकरीर करते हैं। लेकिन फिर भी ऐसे नेताओं को केन्द्र और राज्य सरकार सुरक्षा उपलब्ध करवाती है। पुलिस के वाहनों में ऐसे नेताओं को इधर से उधर ले जाया जाता है। कश्मीर पुलिस के सैकड़ों जवान हुर्रियत के नेताओं की सुरक्षा में लगे हुए हैं। सरकार इन नेताओं की सुरक्षा पर करोड़ों रुपए खर्च करती है। आज तक ने जायज सवाल उठाया है, जब ये नेता अपने ही देश के साथ गद्दारी कर रहे हैं तो फिर इन्हें सुरक्षा क्यों दी जा रही है? आज तक के इस सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री कार्यालय के मंत्री जितेन्द्र प्रसाद और जम्मू कश्मीर की महबूबा मुफ्ती ने तो दिया है, लेकिन असहिष्णुता के नाम पर अवार्ड लौटाने और आतंकवादियों की मौत पर मोमबत्ती जलाने वाली गैंग को भी आज तक के सवाल का जवाब देना चाहिए। डीएसपी की हत्या क्या असहिष्णुता नहीं है? गंभीर बात तो यह है कि डीएसपी अयूब की हत्या पवित्र रमजान माह में की गई। आखिर कुछ कश्मीरी कौन से धर्म पर चल रहे हैं। जो गैंग दिल्ली के जंतर-मंतर और इंडिया गेट पर मोमबत्ती जलाती है, उसे कश्मीर घाटी में जाकर उन अलगाववादियों का सामना करना चाहिए जो बेकसूर डीएसपी को मौत के घाट उतारते हैं। असल में अब हुर्रियत के नेताओं के चेहरे पर से नकाब उतर चुका है। साफ हो गया है कि पाकिस्तान से जो धनराशि मिलती है, उसी से कश्मीर में पत्थरबाजी और हिंसक घटनाएं करवाई जाती हैं। अब समय आ गया है जब सरकार को हुर्रियत के नेताओं के खिलाफ सख्त कार्यवाही करनी चाहिए ताकि कश्मीर में फिर से अमन चैन कायम हो सके।
एस.पी.मित्तल) (24-06-17)
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