2018 में कर्नाटक के श्रवणबेलगोला में होगा महामस्तकाभिषेक, लेकिन अजमेर में विवाद अभी से। इसलिए इस बार कोई दिगम्बर साधु-संत नहीं कर रहा चातुर्मास।

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2018 में कर्नाटक के श्रवणबेलगोला में होगा महामस्तकाभिषेक, लेकिन अजमेर में विवाद अभी से। इसलिए इस बार कोई दिगम्बर साधु-संत नहीं कर रहा चातुर्मास।
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अजमेर में दिगम्बर जैन समाज के प्रतिनिधियों में जो आपसी खींचतान है, उसी का परिणाम है कि इस बार अजमेर में समाज का कोई भी साधु-संत चातुर्मास नहीं कर रहा हैं। अजमेर शहर का अंतर्राष्ट्रीय महत्व होने की वजह से देश के प्रमुख जैन संत यहां चातुर्मास करते रहे हैं। किसी जैन संत के नहीं आने से समाज के आम श्रद्धालु भी दुखी हैं। हालांकि श्वेताम्बर और अन्य जैन साधु-संत, साध्वी अजमेर में चातुर्मास कर रहे हैं। लेकिन दिगम्बर साधु-संतों के चातुर्मास की भव्यता अलग ही होती है। सुप्रसिद्ध संत सुधासागर जी महाराज से अजमेर के जैन प्रतिनिधियों ने चातुर्मास के लिए आग्रह किया था। लेकिन अब सुधासागर जी महाराज का चातुर्मास अजमेर शहर से 25 किलोमीटर दूर किशनगढ़ में हो रहा है। अजमेर का सम्पूर्ण जैन समाज जानता है कि निकटवर्ती नारेली तीर्थ को विकसित करने में सुधासागर जी महाराज की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। सुधासागर जी के बाहर के अनुयायी और किशनगढ़ के आर.के. मार्बल के मालिक अशोक पाटनी ने भी करोड़ों रुपए नारेली तीर्थ पर खर्च किए। इतना सब कुछ होने के बाद भी नारेली तीर्थ में प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा नहीं हो पाई। यही वजह है कि नारेली तीर्थ धार्मिक दृष्टि से विकसित नहीं हो पा रहा है। हालांकि दिगम्बर संत अपने आचार्य के दिशा-निर्देंशों पर ही चातुर्मास का स्थान तय करते हैं। लेकिन यह बात अपने आपमें सबक सिखाने वाली है कि इस बार अजमेर में दिगम्बर समाज का कोई भी साधु-संत चातुर्मास नहीं कर रहा है। हालांकि इसी समाज से जुड़ी विद्वान साध्वी दिव्यमती जी यहां रोजाना धर्म की गंगा बहा रही हंै।
ताजा विवाद :
अजमेर दिगम्बर जैन समाज के प्रतिनिधियों में आपसी खींचतान का अंदाजा वर्ष 2018 में होने वाले भगवान बाहुबली के महामस्तकाभिषेक समारोह से लगाया जा सकता है। यह समारोह कर्नाटक के श्रवणबेलगोला में होना है। लेकिन विवाद अभी से ही शुरू हो गया है। इस विवाद में विश्वविख्यात सोनीजी की नसियां के ट्रस्टी और दिगम्बर जैन समाज के मुख्य प्रतिनिधि प्रमोद सोनी ने आग में घी डालने वाला काम किया है। दिगम्बर जैन समाज में 20 पंथी और 13 पंथी की धार्मिक प्रक्रियाओं को लेकर पहले से ही विवाद है। लेकिन कर्नाटक के समारोह के विवाद को प्रमोद सोनी ने अजमेर को विवाद से जोड़ दिया है। प्रमोद सोनी 13 पंथी विचारधारा को मानते हैं। इसलिए उन्होंने कर्नाटक के समारोह के लोगों में स्त्री के द्वारा दुग्धाभिषेक पर एतराज किया है और साथ ही यह भी कह दिया कि अजमेर में छोटे धड़े की नसियां के मंदिरों में भी स्त्रियों के द्वारा अभिषेक किया जाता है। चूंकि छोटे धड़े की नसियां से जुड़े जैनी 20 पंथी विचारधारा को मानते हैं इसलिए मंदिरों में अभिषेक ही नहीं बल्कि आरती भी करते हैं। 13 जुलाई को छोटा धड़ा नसियां पंचायत की एक बैठक हुई और इस बैठक में सोनी के बयान की कड़ी निंदा की गई। पंचायत के अध्यक्ष दिनेश पाटनी, उपाध्यक्ष कोसिनोक जैन, मंत्री नितिन जोशी आदि ने कहा कि सोनी का बयान अजमेर के जैन समाज को विभाजित करने वाला है। देखना है कि ताजा विवाद कहां तक जाता है।
(एस.पी.मित्तल) (13-07-17)
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