लड़के के विवाह में दहेज और मेहमानों से लिफाफा नहीं लेता है अजमेर का सांखला परिवार।

मैं समय समय पर सामाजिक सरोकारों से जुड़े मुद्दों को भी अपने ब्लॉग में लिखता हंू। इन दिनों शादी ब्याह का सीजन चल रहा है। अधिकांश परिवार ऐसे समारोहों में शामिल हो रहे हैं। ऐसा ही एक विवाह समारोह 2 दिसंबर को अजमेर के कचहरी रोड स्थित सरकारी स्कूल के सेकंड ग्रेड के टीचर दिनेश सांखला के पुत्र रितेश का हुआ। कोटड़ा के बीके कौल नगर स्थित निवास पर हुए सामूहिक भोज के समारोह में दिनेश सांखला ने किसी भी मेहमान से लिफाफा यानी उपहार के तौर पर मिलने वाली नकद राशि नहीं ली। दिनेश के भाई और वाणिज्यिक कर विभाग में निजी सहायक के पद पर कार्यरत भूपेश सांखला ने बताया कि उनके परिवार में यह तीसरा विवाह है, जब भी लिफाफे नहीं लिए गए हैं। बेटों के ससुराल से भी कोई दहेज नहीं लिया जाता है। सांखला परिवार मध्यमवर्गीय हैं और ऐसा परिवार यदि लड़के के विवाह में मेहमानों से लिफाफा नहीं लेता है तो यह अनुकरणीय पहल हैं। असल में भारतीय संस्कृति में लड़की के विवाह पर कन्यादान की परंपरा है। लेकिन अब से लिफाफों का चलन शुरू हुआ है, जब लड़के के विवाह में भी लिफाफे लिए जाने लगे हैं। धनाढ्य परिवार अपने पुत्रों के विवाह पर लाखों करोड़ों रुपया खर्च करते हैं, लेकिन लिफाफों का मोह नहीं छोड़ते। हो सकता है कि किसी परिवार को पुत्र के विवाह के बाद हलवाई, टेंट, बैंड घोड़ी समारोह स्थल आदि वालों को भुगतान करने के लिए मेहमानों के लिफाफों की जरूरत पड़ती हो, लेकिन जो परिवार धनाढ्य हैं उन्हें लिफाफों से प्राप्त राशि से कोई फर्क नहीं पड़ता है। जब मध्यमवर्गीय सांखला परिवार पुत्रों के विवाह में उपहार के तौर पर नकद राशि नहीं ले रहा है, तब धनाढ्य परिवार भी लिफाफों का मोह छोड़ सकते हैं। सांखला परिवार के अलावा और भी परिवार होंगे जो बेटों के विवाह के मौके पर लिफाफा नहीं लेते हैं, लेकिन लिफाफा नहीं लेने वाले परिवारों की संख्या कम है। कुछ लोग कह सकते हैं कि जब हम विवाह समारोह में लिफाफे देते हैं तो फिर लेने में क्या एतराज है? ऐसी सोच रखने वालों पर कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती। कुछ लोग तो शादी की सालगिरह, बच्चों के बर्थडे, मकान के नांगल आदि पर भी लिफाफा ले रहे हैं, जबकि ऐसे प्रोग्राम अपनी खुशी के लिए किए जाते हैं। कुछ लोग मेरे द्वारा ऐसा ब्लॉग लिखने पर भी एतराज कर सकते हैं, लेकिन मैं यह ब्लॉग तभी लिख रहा हूं, जब मैंने अपनी सोच पर अमल किया है। 34 वर्ष पहले जब मेरा स्वयं का विवाह अजमेर के विजय लक्ष्मी पार्क में हुआ था, तब भी किसी भी मेहमान से लिफाफा नहीं लिया। डेढ़ वर्ष पहले कोरोना काल में जब मेरे बेटे एडवोकेट हर्षित का विवाह पैराडीजो रिपोर्ट में हुआ, तब भी किसी से लिफाफा नहीं लिया। मैंने अपने विचार रख दिए हैं, यदि किसी को बुरा लगे तो मैं एडवांस में क्षमा प्रार्थी हंू। फिलहाल बेटे के विवाह में लिफाफा नहीं लेने के लिए मोबाइल नंबर 9414277748 पर भूपेश सांखला की हौसला अफजाई की जा सकती है। दिनेश सांखला के पुत्र रितेश का विवाह एक दिसंबर को मध्यप्रदेश के मंदसौर में हुआ था। बिना दहेज के विवाह को लेकर दैनिक भास्कर के मंदसौर संस्करण में जो खबर छपी है उसे मेरे फेसबुक पेज पर www.facebook.com/SPMittalblog पढ़ जा सकता है। S.P.MITTAL BLOGGER (02-12-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9799123137To Contact- 9829071511

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