तो अब गुजरात में कांग्रेस को हराने का काम करेंगे शंकर सिंह वाघेला। पहले दौर में भूपेन्द्र यादव ने दी अशोक गहलोत को मात।

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21 जुलाई को गुजरात में कांग्रेस को तब तगड़ा झटका लगा, जब नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी को टक्कर देने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शंकर सिंह बाघेला ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। बाघेला ने विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता के पद से भी इस्तीफा दे दिया है। हालांकि अभी भाजपा में शामिल होने की घोषणा नहीं की है। लेकिन आगामी नवम्बर माह में होने वाले विधानसभा के चुनाव में बाघेला कांग्रेस को हराने का काम करेंगे। गुजरात में 182 विधायकों का चुनाव होना है। भाजपा ने 130 का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को पाने में बाघेला की महत्त्वपूर्ण भूमिका होगी। गुजरात चुनाव की खास बात यह है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही राजस्थान के नेताओं को प्रभारी बनाया है। भाजपा ने अपने राष्ट्रीय महासचिव भूपेन्द्र यादव को और कांग्रेस ने पूर्व सीएम अशोक गहलोत को गुजरात चुनाव की कमान सौंपी है। बाघेला को मानने के लिए गहलोत ने कल देर रात तक मुलाकात की, लेकिन बाघेला नहीं माने। बाघेला को जो भी प्रलोभन दिए जा सकते थे, वो गहलोत की ओर से दिए गए। लेकिन इन प्रलोभनों का बाघेला पर इसलिए कोई असर नहीं हुआ, क्योंकि भूपेन्द्र यादव ने पहले ही बाघेला को अपनी ओर खींच लिया था। यादव की रणनीति की वजह से ही वाघेला ने गुजरात में कांग्रेस को जोरदार झटका दिया है। भूपेन्द्र यादव 21 जुलाई को राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ जयपुर में थे। लेकिन उनकी नजरे गुजरात के गांधीनगर में लगी हुई थी। माना जा रहा है कि जब बाघेला भाजपा का प्लान सफल कर देंगे तो अगले वर्ष उन्हें किसी राज्य का राज्यपाल मनोनीत कर दिया जाएगा। बाघेला की ताकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस के 8 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की और अब अगस्त में होने वाले राज्यसभा के चुनाव में भी बाघेला समर्थक विधायक कांग्रेस के उम्मीदवार को हराने और भाजपा के उम्मीदवार को जिताने का काम करेंगे। कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल का राज्यसभा का कार्यकाल भी समाप्त हो रहा है। लेकिन अब बाघेला की बगावत से अहमद पटेल का गुजरात से राज्यसभा का सांसद बनना मुश्किल होगा।
अम्बिका सोनी भी नाराज:
कांगे्रस हाईकमान के रवैये से कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव अम्बिका सोनी भी नाराज हैं। इसलिए सोनी ने हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के प्रभारी के पद से इस्तीफा देने का प्रस्ताव किया है।
एस.पी.मित्तल) (21-07-17)
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