तो क्या अजमेर डिस्कॉम के एमडी मेहराम विश्नोई भाजपा सरकार की छवि खराब कर रहे हैं? जिला बदर हुए 200 तकनीकी कर्मचारी 4 अगस्त से बेमियादी धरने पर हैं।
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11 अगस्त को भी अजमेर विद्युत वितरण निगम (डिस्कॉम) के करीब 200 तकनीकी कर्मचारी धरने पर बैठे रहे। ये कर्मचारी गत 4 अगस्त से ही बेमियादी धरने पर हैं। अजमेर शहर की बिजली व्यवस्था टाटा पावर कंपनी को दे देने के बाद इन तकनीकी कर्मचारियों का तबादला भीलवाड़, उदयपुर आदि शहरों में कर दिया गया है। कर्मचारियों का कहना है कि पूर्व में जो समझौता हुआ था उसमें डिस्कॉम प्रबंधन की ओर से भरोसा दिलाया गया था कि कर्मचारी का तबादला अजमेर से बाहर नहीं किया जाएगा। इस समय अजमेर जिले में तकनीकी कर्मचारियों के 300 पद खाली पड़े हैं। लेकिन डिस्कॉम के एमडी मेहराम विश्नोई अजमेर जिले में नियुक्ति नहीं दे रहे हैं। पहले तो कर्मचारियों से कोई संवाद ही नहीं किया, लेकिन जब जिला कलेक्टर गौरव गोयल ने विश्नोई से कर्मचारियों से वार्ता करने के लिए कहा तो विश्नोई ने वार्ता में शुरू से ही नकारात्मक रुख अपनाया। विश्नोई ने जिस अडिय़ल अंदाज में संवाद किया, उससे वार्ता विफल हो गई। कर्मचारियों के प्रतिनिधियों का कहना है कि कलेक्टर गोयल ने जो सकारात्मक बात की उससे जाहिर होता है कि राज्य सरकार कर्मचारियों को बेवजह परेशान नहीं करना चाहाती। लेकिन एमडी विश्नोई जान बूझ कर राज्य की भाजपा सरकार की छवि खराब कर रहे हैं। विश्नोई के व्यवहार से डिस्कॉम के इंजीनियर और अन्य अधिकारी भी परेशान हैं। ज्यादा परेशान होने वाले अधिकारी तो विश्नोई के जोधपुर स्थित घर जाकर समस्या का समाधान करवा लेते हैं। डिस्कॉम के प्रबंधन पद विश्नोई के पुत्र का भी प्रभाव माना जाता है। लेकिन जिला बदर हुए गरीब तकनीकी कर्मचारियों की इतनी स्थिति नहीं है कि वे जोधपुर जा सके। जिला बदर हुए कर्मचारियों के साथ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ा भारतीय मजदूर संघ भी खड़ा है। लेकिन इसका भी विश्नोई पर कोई असर नहीं हो रहा है।
एस.पी.मित्तल) (11-08-17)
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