मीडिया में है मेंरा और वसुंधरा राजे का विवाद। तो फिर ओम माथुर से क्यों कतराते हैं भाजपाई?

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भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राज्य सभा सांसद ओम माथुर 17 अगस्त को अल्प प्रवास पर अजमेर में पूर्व जिला प्रमुख पुखराज पहाडिय़ा के निवास पर रुके। माथुर ने दोपहर का स्वादिष्ट भोजन भी पहाडिय़ा के निवास पर ही किया। माथुर के आने की सूचना पहाडिय़ा को पत्रकारों के साथ-साथ भाजपा के नेताओं को भी दी। लेकिन अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष शिव शंकर हेड़ा को छोड़कर भाजपा का कोई बड़ा नेता अपनी पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का स्वागत करने के लिए नहीं आया। माथुर के स्वागत के लिए अधिकांश वो ही नेता उपस्थित थे, जो वर्तमान व्यवस्था में उपेक्षित हैं। इन में पूर्व मंत्री श्रीकृष्ण सोनगरा, पूर्व सभापति सुरेन्द्र सिंह शेखावत, पूर्व सांसद रासा सिंह रावत, राकेश पहाडिय़ा, प्रवीण जैन, पूर्व शहर अध्यक्ष पूर्णाशंकर दशोरा आदि शामिल थे। भाजपा के देहात जिला अध्यक्ष बी.पी.सारस्वत, शहर अध्यक्ष अरविंद यादव, मेयर धर्मेन्द्र गहलोत, जिला प्रमुख वंदना नोगिया जैसे नेताओं ने माथुर से दूरी बनाए रखी। आमतौर पर जब भाजपा का कोई प्रदेश स्तरीय नेता भी आता है तो कार्यकर्ताओं और नेताओं की भ्ीाड़ लग जाती हैं। लेकिन 17 अगस्त को तो सूचना मिलने के बाद भी अजमेर के भाजपा नेता अपनी पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के स्वागत के लिए नहीं आए। माना जाता है कि सीएम वसुंधरा राजे से खींचतान के चलते भाजपा के नेता ओम माथुर से दूरी बनाते हैं। 17 अगस्त को जब पत्रकारों ने माथुर से सीएम वसुंधरा राजे के साथ संबंधों को लेकर सवाल किया तो माथुर ने अपने अंदाज में कहा कि मेरे और सीएम राजे के बीच मीडिया में ही विवाद है। यानि मेरा सीएम से कोई विवाद नहीं है। यदि ओम माथुर की यह बात सही है तो फिर सवाल उठता है कि भाजपा के नेता और कार्यकर्ता ओम माथुर से क्यों कतराते हैं? जब भाजपा को विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी कहा जाता है तो क्या उसके अंतर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के अगमन पर गिने चुने कार्यकर्ता ही आएंगे? अभी पिछले दिनों ही प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष अशोक परनामी के समधी का अजमेर में निधन हुआ तो परनामी को शक्ल दिखाने के लिए भाजपा के नेता श्मशान स्थल तक पहुंच गए। तब किसी भी नेता को कोई जरूरी काम नहीं हुआ। भले ही ऐसे भाजपा नेताओं की पहचान परनामी के समधी जयकिशन जिंदल से नहीं थी। स्वर्गीय जिंदल के परिजनों को इस बात पर आश्चर्य हो रहा था कि जिन भाजपा नेताओं को वे जानते तक नहीं हैं वे भी पूरे दो घंटे श्मशान स्थल पर मौजूद रहे। वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के आगमन पर भाजपा के नेता कोई न कोई बहाना कर नहीं आए। ओम माथुर माने या नहीं, लेकिन यदि सीएम वसुंधरा राजे का डर नहीं होता तो अजमेर के भाजपा नेता स्वागत के लिए लाइन बना कर खड़े रहते।
एस.पी.मित्तल) (17-08-17)
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