अजमेर में पहले दिन ही फेल हो गई ऊर्जा मंत्री पुष्पेन्द्र सिंह की जनसुनवाई। एडीए में भी फीका रहा माहौल।
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30 अगस्त को पहले दिन ही राजस्थान के ऊर्जा मंत्री पुष्पेन्द्र सिंह की अजमेर में जन सुनवाई फेल हो गई। 29 अगस्त को सरकार ने जन सुनवाई का जो प्रेस नोट जारी किया, उसमें बताया गया कि 30 अगस्त को प्रातः दस बजे पुष्कर विधानसभा क्षेत्र के गनाहेड़ा स्थित अटल सेवा केन्द्र, दोपहर 1ः30 बजे नसीराबा के बिठुर तथा शाम 5ः30 बजे केकड़ी में ऊर्जा मंत्र जन सुनवाई करेंगे। लेकिन मंत्री जी दोपहर एक बजे बाद पुष्कर के गनाहेड़ा पहुंचे। चूंकि मंत्रीजी तीन घंटे से भी ज्यादा विलम्ब से पहुंचे, इसलिए अधिकांश ग्रामीण जा चुके थे। जो ग्रामीण बचे वे क्षेत्र के भाजपा विधायक सुरेश सिंह रावत के समर्थक थे। यदि विधायक साथ में नहीं होते तो मंत्री से गनाहेड़ा में मिलने वाला कोई नहीं होता। अंदाजा लगाया जा सकता है कि नसीराबाद और केकड़ी की जन सुनवाई का क्या हाल हुआ होगा? चूंकि अजमेर में लोकसभा के उपचुनाव होने हैं इसलिए ऊर्जा मंत्री ने तीन दिन की जन सुनवाई का प्रोग्राम घोषित किया है। लेकिन मंत्री के व्यवहार से प्रतीत होता है कि वे स्वयं ही जन सुनवाई के प्रति गंभीर नहीं हंै।
सौर ऊर्जा प्लांट को लेकर शिकायतः
मंत्री को ग्रामीणों ने बताया कि सरकार 2 लाख 50 हजार रुपए लेकर सौर ऊर्जा प्लांट लगा रही है हालांकि बाद में एक लाख रुपए की राशि वापस की जा रही है, लेकिन बाजार में यही प्लांट एक लाख 80 हजार रुपए में उपलब्ध है। ऐसे में सरकार के प्लांट को लगवाने में कोई रुचि नहीं है। इस पर मंत्री ने पूरे मामले की जांच का आश्वासन दिया। ग्रामीणों ने यह भी शिकायत की कि नए कनेक्शन के आवेदन के बाद निर्धारित शुल्क लेकर बिजली का मीटर लगा दिया, लेकिन कनेक्शन नहीं जोड़ा गया। इसके बावजूद भी उपभोक्ताओं को बिजली के बिल भेजे जा रहे हैं।
एडीए में फीका रहा माहौल
अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष शिव शंकर हेड़ा ने भी 30 अगस्त को प्राधिकरण में जनसुनवाई की। आमतौर पर छोटे-छोटे कार्यों के लिए आम लोग प्राधिकरण के धक्के खाते रहते हैं। इस स्थिति को देखते हुए ही हेड़ा ने प्रत्येक माह की 10, 20 और 30 तारीख को जन सुनवाई निर्धारित की। 30 अगस्त को इस जन सुनवाई का पहला दिन था, लेकिन इस जन सुनवाई को सफल बनाने में प्राधिकरण के अधिकारियों ने कोई रुचि नहीं दिखाई। या तो अधिकारी अनुपस्थित रहे या फिर शिकायत को दूर करने में गंभीर नजर नहीं आए। हालांकि हेड़ा ने अपने स्तर पर शिकायतों का निवारण करने की कोशिश की, लेकिन प्रशासनिक तंत्र के असहयोग रवैये के चलते हेड़ा को सफलता नहीं मिली। जो काम सामान्य प्रक्रिया में होने चाहिए वे ही जन सुनवाई में रखे गए। हेड़ा ने उम्मीद जताई है कि जाने वाले दिनों में इस जन सुनवाई को प्रभावी बनाया जाएगा।
एस.पी.मित्तल) (30-08-17)
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