कश्मीर में रमजान अहमद और म्मांयार में हिन्दुओं की सामूहिक हत्याओं पर अब रोहिंग्या मुसलमानों के हिमायती चुप क्यों हैं? =======
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28 सितम्बर को कश्मीर घाटी के बांदीपोरा में बीएसएफ के जवान रमजान अहमद को सुपुर्दे-ए- खाक कर दिया गया। रमजान अहमद का पूरा परिवार गमगीन और महिलाओं का रो-रो कर बुरा हाल था। आतंकवादियों ने रमजान अहमद को इसलिए मारा क्योंकि वह बीएसएफ में नौकरी कर रहा था। आतंकवादी नहीं चाहते कि कश्मीर का कोई युवक देश के सुरक्षा बलों में काम करें, इसलिए पहले लेफ्टिनेंट कर्नल उमर फैयाज और कश्मीर पुलिस के डीएसपी पंडित अयूब को भी मौत के घाट उतार दिया गया। पिछले दो दिनों में मीडिया में यह बात भी सामने आई है कि म्मांयार में हिन्दुओं की सामूहिक हत्याएं की गई। हिन्दुओं की हत्याएं उन इलाकों में हुई जहां रोहिंग्या मुसलमानों की संख्या ज्यादा थी। सवाल उठता है कि देश में जो लोग रोहिंग्या मुसलमानों को शरण देने की हिमायत कर रहे हैं वे रमजान अहमद और हिन्दुओं की समूहिक हत्याओं पर चुप क्यों है? क्या रमजान अहमद और म्मांयार में रहने वाले हिन्दू इंसान नहीं हैं? जबकि न तो रमजान अहमद और न म्मांयार के हिन्दुओं ने कोई अपराध किया। म्मांयार में सिर्फ दहशत फैलाने के लिए हिन्दुओं को मौत के घाट उतारा गया तो रमजान अहमद को सुरक्षा बल में काम करने की सजा दी गई। क्या किसी कश्मीरी को इसलिए मार डाला जाएगा कि वह सुरक्षा बलों में काम करता है? रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में शरण देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाले प्रशांत भूषण की भी बोलती बंद है। रोहिंग्या मुसलमानों के समर्थन में देश भर में मौन जुलूस निकाले गए। लेकिन रमजान अहमद के हत्या के विरोध में एक मोमबत्ती भी नहीं जलाई जा रही है।
एस.पी.मित्तल) (28-09-17)
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