ईरानी शैली के कालीन चोरी के मामले में सीएम वसुंधरा राजे को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत। सीबीआई से जांच कराने की मांग वाली याचिका खारिज। कांग्रेस को झटका।

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ईरानी शैली के कालीन चोरी के मामले में सीएम वसुंधरा राजे को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत। सीबीआई से जांच कराने की मांग वाली याचिका खारिज। कांग्रेस को झटका।
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1 नवम्बर को राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने राजे से जुड़े कालीन चोरी के मामले की जांच सीबीआई से कराने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। कांग्रेस के पूर्व सांसद रामसिंह कस्बा की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि 2005 में जब वसुंधरा राजे राजस्थान की सीएम थीं, तब जयपुर स्थित खासा कोठी (सरकारी गेस्ट हाउस) से ईरानी शैली के 8 बेशकीमती कालीन सीएम के सरकारी आवास पर भेजे गए थे। लेकिन बाद में कालीन न तो सीएम आवास में मिले और ना ही खासा कोठी वापस आए। बेशकीमती कालीन चोरी होने का मामला भी दर्ज करवाया गया, लेकिन जांच में ऐसा कोई सबूत नहीं मिला, जिससे यह पता चलता हो कि वसुंधरा राजे ने कालीन रख लिए। हालांकि कालीन चोरी के प्रकरण की जांच कांग्रेस के शासन में भी करवाई गई, लेकिन फिर राजे के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिमला। आज भी बेशकीमती कालीनों की तलाश है। सरकारी कालीन चोरी के मामले की जांच सीबीआई से कराने को लेकर पूर्व सांसद कस्बा ने पहले हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी, लेकिन हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट का ताजा फैसला ऐसे समय में आया है, जब अगले वर्ष राजस्थान में विधानसभा के चुनाव होने हैं। यदि कस्बा की याचिका मंजूर हो जाती तो कांग्रेस को भाजपा के खिलाफ एक बड़ा मुद्दा मिला जाता।
कांग्रेस का चरित्र ही ऐसा है-परनामीः
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष अशोक परनामी ने कहा कि कांग्रेस का तो चरित्र ही ऐसा है। कांग्रेस झूठे आरोप लगा कर राजनीतिक फायदा उठाना चाहती है। जो याचिका हाईकोर्ट से खारिज हो गई उसे सुप्रीम कोर्ट में ले जाने से जाहिर है कि कांग्रेस इस मामले पर राजनीति कर रही थी। अब सुप्रीम कोर्ट से भी दूध का दूध और पानी का पानी हो गया है।
आखिर कहां गए कालीनः
यह माना कि कालीन चोरी के मामले में वसुंधरा राजे के खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं, लेकिन यह सवाल तो आज भी कायम है कि आखिर कालीन गए कहां? कई बार ऐसे आरोप सरकारी अधिकारियों पर लगते हैं। कलेक्टरों के बारे में कहा जाता है कि तबादले के समय सरकारी आवास में रखे पीडब्ल्यूडी के समान को भी ले जाते हैं। हालांकि अफसरों से तो सामान की सूची की वसूली वेतन में से कर ली जाती है, लेकिन कालीन की राशि की वसूली किससे की जाए? सरकार ने ईरानी शैली के कालीन जनता के पैसे से खरीदे थे। सरकार में बैठे लोग सरकारी सम्पत्तियों के चैकीदार होते हैं, जो लोग कालीन चोरी के मामले में स्वयं को पाक साफ मानते हैं उनका भी यह दायित्व है कि वह जनता के कालीन का पता लगाए।
एस.पी.मित्तल) (01-11-17)
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