सही समय पर सही निर्णय लेने वाले को ही यश मिलता है।

सही समय पर सही निर्णय लेने वाले को ही यश मिलता है। राष्ट्रसंत स्वामी गोविंददेव गिरी ने बताए महाभारत से जीवन प्रबंधन के गुर।
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11 फरवरी को अजमेर के जवाहर रंगमंच पर एक शानदार और सफल कार्यक्रम हुआ। शहर की विभिन्न संस्थाओं द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में राष्ट्रसंत स्वामी गोविंददेव गिरी महाराज ने महाभारत से जीवन प्रबंधन विषय पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सही समय पर सही निर्णय लेने वाले को ही यश मिलता है और यह तभी संभव है जब आपके पास विवेक हो। विवेक के बारे में महाभारत जानकारी देती है। यह एक ऐसा ग्रंथ है, जिसमें सभी परिस्थितियों और उसमें लिए गए निर्णय का समावेश है। महाभारत के पात्र कोई व्यक्ति नहीं बल्कि प्रवृत्ति हैं जैसे ध्रतराष्ट्र, शकुनी, दुर्योधन आदि। वहीं दूसरी ओर कृष्ण, अर्जुन, भीम आदि। महाभारत के अध्ययन से हम अपने जीवन को न केवल सुधार सकते हैं बल्कि व्यवस्थित भी कर सकते हैं। ऐसा भी कुप्रचार किया गया कि महाभारत की पुस्तक को घर में रखने से क्लेश होगा। जबकि हकीकत यह है कि महाभारत को पढ़ने और समझने से राजा को युद्ध में वैश्य को व्यापार, ब्राह्मण को ज्ञान विजय मिलती है। गर्भवती महिला यदि महाभारत का श्रवण करती है तो उसकी संतान वीर और भाग्यशाली होगी। आज यूरोप के लेखक हमें मैनेजमेंट, लीडरशिप, रिलेशनशिप आदि के बारे में बता रहे हैं, ंजबकि मैनेजमेंट के लिए महाभारत, रिलेशनशिप के लिए रामायण और लीडरशिप के लिए चाणक्य नीति जैसे ग्रंथ हमारे पास पहले से ही हैं। हमारे पास जब मौलिक ज्ञान है तो फिर हम सूक्ष्म ज्ञान क्यों लेना चाहते हैं। असल में मारे ही ग्रंथों का अध्ययन अब विभिन्न विषयों पर अंग्रेजी में पुस्तकें लिखी जा रही हैं। उन्होंने माना कि हमारे ग्रंथ संस्कृत भाषा में हैं, इसलिए इसके अनुवाद में परेशानी है, लेकिन  गीता परिवार के माध्यम से ऐसे ग्रंथों का हिन्दी में भी अनुवाद हो रहा है। स्वामी गोविंद देव ने कहा कि भारतीय संस्कृति 16 स्तंभों पर टिकी है। पुरुषार्थ के लिए कर्म, अर्थ, धर्म और मोक्ष के मार्ग बताए गए हैं तो जीवन काल के लिए चार आश्रम व्यवस्था, समाज के लिए चार वर्ग व्यवस्था तथा सम्पूर्ण व्यवस्था के लिए चार मार्ग बताए गए हैं। 16 स्तंभों की वजह से भारतीय संस्कृति अभी तक जिंदा है और अनंतकाल तक रहेगी। हालांकि कई बार हमारी संस्कृति को क्षति पहुंचाने की कोशिश की गई, लेकिन भारतीय संस्कृति का आज भी विश्व में महत्व है। आने वाली पीढ़ी सवालों वाली होगी, जो इससे सवाल पूछेगी। यदि हमें हमारे ग्रंथों की जानकारी नहीं होगी तो हम जवाब नहीं दे सकेंगे। एक बालक ने ही मुझे बताया कि महाभारत में 256 बार श्राप दिया गया। इससे अंदाला जगाया जा सकता है कि आने वाली पीढ़ी कितनी गहराई से सोचती है। महाभारत कोई पुस्तक नहीं बल्कि हमारा राष्ट्रीय ग्रंथ है।
लोकायुक्त कोठारी ने रखे सवालः
गोविंद देव गिरी के संबोधन से पहले राजस्थान के लोकायुक्त जस्टिस सज्जन सिंह कोठारी ने महाभारत से जुड़े अनेक सवाल रखे। जस्टिस कोठारी ने जानना चाहा कि युद्ध के दौरान माता कुंती ने कर्ण को पुत्र होने की जानकारी क्यों दी? अर्जुन ने युधिष्ठिर को जुआ खेलने से क्यों नहीं रोक? कृृष्ण ने अपनी नारायण सेना कौरवों को क्यों? जस्टिस कोठारी ने कहा कि ये ऐसे सवाल हैं जिनका उत्तर आज की युवा पीढ़ी को मिलना चाहिए।
पदमश्री रामेश्वरलाल काबरा का स्वागतः
कार्यक्रम की शुरुआत में स्वामी गोविंद देव गिरी महाराज ने प्रमुख समाजसेवी पद्मश्री रामेश्वरलाल काबरा का अभिनंदन किया। स्वामी जी ने कहा कि वे विद्यालयों के संचालन में काबरा का जो सहयोग है उसका अभिनंदन किया ही जाना चाहिए। कार्यक्रम में एडीए के अध्यक्ष शिव शंकर हेड़ा ने सभी के प्रति आभार जताया। इस अवसर पर दैनिक नवज्योति के प्रधान सम्पादक दीनबंधु च ौधरी, स्कूली शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी, मेयर धर्मेन्द्र गहलोत, समाजसेवी सीताराम गोयल, अजीत अग्रवाल, श्यामसुंदर छापरवाल, रवि तोषनीवाल, उमेश गर्ग, रमेश तापड़िया, आनंद राठी आदि ने स्वामी का स्वागत किया।
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