राजपूत और रावणा राजपूत समाज को सताने में लगी है राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे। भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व दखल दे।

राजपूत और रावणा राजपूत समाज को सताने में लगी है राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे। भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व दखल दे।

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16 मई को अजमेर में राजपूत और रावणा राजपूत समाज के प्रमुख नेता गिरिराज सिंह लोटवाड़ा और रणजीत सिंह नोसल ने एक प्रेस वार्ता कर आरोप लगाया कि राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे राजपूत और रावणा राजपूत समाज को सताने में लगी हुई है। यदि समय रहते भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने दखल नहीं दिया तो आगामी विधानसभा चुनाव में परिणाम भुगतने होंगे। आनंदपाल एनकाउंटर के बाद राजपूत रावणा राजपूत संघर्ष समिति के साथ 28 जुलाई 2017 को सरकार ने जो समझौता किया था उसे आज तक भी पूरा नहीं किया है। आज बेकसूरर युवा जेलों में बंद हैं तथा सैकड़ों युवा मुकदमों में फंसे हैं। जब्त सम्पत्तियों को भी मुक्त नहीं किया गया है। उल्टे जयपुर स्थित राजपूत महासभा के भवन पर सर्विस टैक्स का चार करोड़ रुपए का नोटिस भेज दिया गया है। चतुर सिंह के मामले में भी सरकार ने कोई राहत नहीं दी है। समाज के प्रतिनिधियों ने कई बार मुख्यमंत्री का ध्यान आकर्षित किया है। हर बार अनसुना किया गया। मुख्यमंत्री के इस व्यवहार से राजपूत व रावणा राजपूत समाज में भारी नाराजगी है। इन दिनों जोधपुर के सांसद गजेन्द्र सिंह शेखावत को भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने का जिस तरह से मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे विरोध कर रही है, उससे भी समाज में नाराजगी बढ़ी है। मुख्यमंत्री के व्यवहार को लेकर ही गत लोकसभा के उपचुनावों में दोनों समाजों ने भाजपा का विरोध किया था। इस विरोध की वजह से ही अजमेर और अलवर में सभी विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। उम्मीद थी कि इस करारी हार से वसुंधरा राजे कोई सबक लेंगी, लेकिन हाल ही की गतिविधियों से प्रतीत होता है कि मुख्यमंत्री अब राजपूत समाज को सताने का काम कर रही है। दोनों नेताओं ने कहा कि यदि सरकार डंडे के बल पर राजपूत और रावणा राजपूत समाज को डराने और दबाने की कोशिश में है तो यह वसुंधरा राजे की गलतफमी है।
12 सूत्रीय मांग पत्रः
दोनों नेताओं ने 12 सूत्रीय मांग पत्र की जानकारी भी पत्रकारों को दी। इसमें आनंदपाल, चतर सिंह के प्रकरण तो है ही साथ ही पद्मावती फिल्म पर स्थाई रोक लगाने, 1947 और इसमें पहले शहीद हुए जवानों को शहीद का दर्जा देने, नेशनल हाइवे पर राजस्थान के वाहनों को टोल से मुक्त करने, दोनों समाजों के युवाओं को आरक्षण देने आदि की मांग की गई। प्रेस कॉन्फेंस में बजरंग सिंह रायल, गिरिराज सिंह लोटवाड़ा, दुर्ग सिंह खींवसर, सुख देव सिंह गोगामेड़ी, देवेन्द्र सिंह पीपरोली, महेन्द्र सिंह कड़ेल, जय सिंह राठौड़, रंजीत सिंह नोसल, भंवर सिंह रेता, रंजीत सिंह गेदिया, मोहन सिंह हातौज, बलवीर सिंह, एडवोकेट चन्द्रभान सिंह, राजेन्द्र सिंह राठौड़, मनोहर सिंह रूपपुरा आदि प्रतिनिधि मौजूद थे।

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