अशोक गहलोत के स्वीकार करने पर ही राजस्थान में कांग्रेस की एकता होगी। खडग़े और राहुल गांधी के निर्देश दे देने से कुछ नहीं होगा। दिल्ली बैठक पर जसवंत दारा का कार्टून।

राजस्थान में कांग्रेस की एकता का मतलब है मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व सीएम सचिन पायलट के बीच तालमेल होना।  6 जुलाई को दिल्ली में हुई बड़ी बैठक में भी इस बात के कोई संकेत नहीं मिले जिसमें गहलोत और पायलट के बीच तालमेल नजर आया हो। इस बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े और राहुल गांधी ने एकजुटता का संदेश दिया। ऐसे संदेश कई बार दिए जा चुके हैं, लेकिन एकजुटता नहीं हो पाई है। गहलोत और पायलट ने वो ही किया जो स्वयं को अच्छा लगे। दिल्ली में कितनी भी बैठकें हो जाए लेकिन जब तक जयपुर में सीएम अशोक गहलोत एकता के संदेश को नहीं स्वीकारेंगे तब तक यह एकता नहीं होगी। कांग्रेस की राजनीति में गहलोत का कद खडग़े और राहुल गांधी से भी बड़ा है। यदि कद बड़ा नहीं होता तो गहलोत वीसी से जुडऩे के बजाय स्वयं बैठक में उपस्थित होते। चाहे पैर में कितनी भी चोट रहती। गहलोत ने यह दर्शा दिया है कि उनकी उपस्थिति के बगैर कोई निर्णय नहीं हो सकता। जब 7 जून वाली बैठक का ही कोई परिणाम नहीं निकला, तो 40 नेताओं की भीड़ वाली 6 जुलाई की बैठक का परिणाम कैसे निकलेगा। 7 जुलाई वाली बैठक में तो गहलोत उपस्थित थे। खडग़े और राहुल माने या नहीं लेकिन गहलोत और पायलट में जबरदस्त व्यक्तिगत कटुता है। यह कटुता कैसे दूर होगी, इसका फार्मूला अभी तक तैयार नहीं हुआ है। अब कहा गया है कि विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं होगा। जबकि अब तक तो अशोक गहलोत स्वयं का ही चेहरा दिखा रहे थे।  गहलोत ने अपने मुकाबले में किसी अन्य कांग्रेसी का चेहरा आने ही नहीं दिया। सचिन पायलट को तो अभी तक गद्दार और मक्कार ही कहा जा रहा है। राहुल गांधी बने ही पायलट को असेट बताते रहे, लेकिन गहलोत ने पायलट को उनकी सरकार गिराने वाला भी बताया। कांग्रेस में यह गहलोत का दबदबा ही है कि पायलट को अभी तक कोई पद नहीं मिला। अब जब विधानसभा चुनाव में चार माह शेष रह गए हैं, तब भी पायलट बिना पद के ही हैं। सब जानते हैं कि गत वर्ष 25 सितंबर को गहलोत ने जयपुर में कांग्रेस विधायक दल की बैठक नहीं होने दी। यदि गहलोत की सहमति के बगैर पायलट को कोई पद दिया गया तो राजस्थान में कांग्रेस का हाल 25 सितंबर से भी बुरा होगा। कांग्रेस हाईकमान के लिए गहलोत और पायलट के बीच तालमेल बैठाना आसान नहीं है। अलबत्ता अब सचिन पायलट ने कांग्रेस में ही रहकर गहलोत को मात देने का मन बना लिया है। बैठकों में सचिन पायलट राहुल गांधी के पास बैठते हैं, यह भी गहलोत को सुहाता नहीं है। पायलट का दावा है कि उन्होंने जो मुद्दे उठाए थे, उन पर कांग्रेस हाईकमान ने संज्ञान लिया है। यानी अभी तक गहलोत ने मुख्यमंत्री के नाते कोई संज्ञान नहीं लिया है। आने वाले दिनों में ही अपने अपने समर्थकों को उम्मीदवार बनवाना चाहेंगे। 
दारा का कार्टून:
6 जुलाई को दिल्ली में हुई राजस्थान कांग्रेस की बैठक के संदर्भ में कार्टूनिस्ट जसवंत दारा ने सटीक कार्टून बनाया है। इस कार्टून से प्रदेश कांग्रेस की एकजुटता का अंदाजा लगाया जा सकता है। दारा के कार्टून को मेरे फेसबुक पेज पर www.facebook.com/SPMittalblog पर देखा जा सकता है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (07-07-2023)
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