आखिर राजनीति में क्यों उलझ रहे है। आर्कबिशप अनिल काउटो?

आखिर राजनीति में क्यों उलझ रहे है। आर्कबिशप अनिल काउटो?
देश में ईसाई शिक्षण संस्थान और अस्पताल धड़ल्ले से चल रहे हैं।

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भारत में ईसाइयों के सर्वोच्च धर्मगुरु दिल्ली के आर्कबिशप अनिल काउटो ने बकायदा एक पत्र लिख कर केन्द्र की भाजपा सरकार की नीतियों की आलोचना की है। आर्कबिशप को देश में धर्म निरपेक्षता को खतरा नजर आता है तथा माहौल भी अच्छा नहीं है। इसलिए ईसाई धर्म गुरु 2019 में नई सरकार चाहते हैं। नई सरकार के लिए 13 मई 2018 से ही प्रार्थना आदि करने का आव्हान किया गया है। अपने पत्र को धर्म से जोड़ते हुए आर्कबिशप ने याद दिलाया कि 13 मई को ही माता मरियम ने दर्शन दिए थे। यानि मई का महीना ईसाईयों के लिए धार्मिक दृष्टि से खास महत्व रखता है। समझ में नहीं आता कि आर्कबिशप ने इस तरह का पत्र कैसे जारी कर दिया। आर्क बिशप जानते है। कि देश में हजारों शिक्षण संस्थान और अस्पताल धड़ल्ले से चल रहे हैं। नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पिछले चार वर्ष से केन्द्र सरकार चल रही है। एक भी संस्थान को बंद करने की कार्यवाही नहीं हुई। बल्कि इन चार वर्षों में संस्थानों का विकास भी हुआ है। मोदी सरकार ने ईसाई शिक्षण संस्थाओं को आरटीई कानून के दायरे में लाने के भी प्रयास नहीं किए। जबकि देश की अन्य पब्लिक स्कूल और निजी स्कूलों पर आरटीई कानून लागू होता है। आज करोड़ों बच्चे इन्हीं ईसाई शिक्षण संस्थानों में पढ़ कर अपना भविष्य बना रहे हैं। सरकार का भी मानना है कि ऐसे संस्थान समाज के लिए उपयोगी हैं। ईसाई संस्थाओं के अस्पतालों में भी अपेक्षाकृत सेवा की भावना से कार्य होता है। पिछले चार वर्ष में ऐसा कभी नहीं हुआ, जब ईसाई संस्थानों ने केन्द्र सरकार से परेशानी की बात कही हो। राज्यों में भाजपा सरकारों के मुख्यमंत्री और मंत्री भी ईसाई संस्थाओं के प्रशंसक रहे हैं। हालांकि प्रतिस्पर्धा के दौर में अन्य निजी स्कूल भी आगे आए हैं, लेकिन ईसाई शिक्षण संस्थाओं का आज भी महत्व बना हुआ है। जब इतनी अच्छी स्थिति है तो आर्क बिशप को देश के हालात खराब नजर क्यों आ रहे हैं? देश में किसी भी सरकार हो, इससे आर्कबिशप का क्या सरोकार है? अच्छा हो कि आर्क बिशप धार्मिक और सेवा कार्यों तक ही सीमित रहे। अभी जो हालात है उसमें ईसाई शिक्षण संस्थान भी विकास कर रहे हैं, नहीं तो हम पाकिस्तान, बंग्लादेश, अफगानिस्तान आदि के हालात देख रहे हैं। आर्क बिशप बताएं कि पाकिस्तान में ईसाई शिक्षण संस्थान कितने सुरक्षित हैं? यदि देश की जनता चाहेगी तो सरकार में अपने आप बदलाव हो जाएगा। किसी धार्मिक स्थल में प्रार्थना करने की जरुरत नहीं है।

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