ईद के मौके पर ऐसी घिनौनी हरकत। अल्लाह कभी माफ नहीं करेगा। कब सुधरेंगे कश्मीर के हालात।
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श्रीनगर में तैनात सेना का जवान औरंगजेब 13 जून को छुट्टी लेकर ईद मनाने के लिए अपने घर जा रहा था कि तभी आतंकियों ने अगवा कर बेरहमी से उसकी हत्या कर दी। इसी प्रकार श्रीनगर के ही अंग्रेजी अखबार राइजिंग कश्मीर के सम्पादक शुजाद बुखारी 14 जून को रोजा इफ्तार में भाग लेने के लिए अपने आॅफिस से निकले तो तीन व्यक्तियों ने गोलियां चला कर शरीर छलनी कर दिया। जो लोग मुस्लिम धर्म की शिक्षाओं पर चलते हैं वे बताएं कि जवान औरंगजेब और शुजाद का कसूर क्या था? इस्लाम में तो अपने मुल्क से बेपनाह मोहब्बत करने की सीख दी गई है। औरंगजेब और शुजाद तो इस्लाम के अनुरूप ही कार्य कर रहे थे। शुजाद को मौत के घाट उतार दिया हो, लेकिन अल्लाह ऐसे आतंकियों को कभी माफ नहीं करेगा। ईद का पर्व जो जीना भी खुशहाली लाता है, ऐसे पवित्र पर्व से दो दिन पहले हत्या करना, वाकई घिनौनी करतूत है। कई बार कश्मीर में मानवाधिकारों के हनन का मुद्दा उठाया जाता है, लेकिन जब आतंकी निर्दोष व्यक्तियों की हत्या करते हैं तो मानवाधिकार की बात नहीं की जाती। पवित्र रमजान माह में जम्मू कश्मीर की सीएम महबूबा ने भी एक तरफा सीज फायर की मांग की। महबूबा ने देखा कि रमजान माह में हमारे कितने जवान शहीद हो गए। जब कोई आतंकी अलगाववादी सेना की गोली से मारा जाता है तो फारुख अब्दुल्ला जैसे मौका परस्त नेता सेना के खिलाफ खड़े हो जाते हैं। लेकिन जब सेना का कोई जवान शहीद होता है तो ऐसे नेता शहीद के परिजन से मिलने भी नहीं जाते। जबकि सुरक्षा बलों के जवान ही ऐसे नेताओं की हिफाजत करते हैं। महबूबा भी कितने ही हिमायत करती है, लेकिन यदि सेना के जवान सुरक्षा न दे तो आतंकी महबूबा को भी मार दें। आतंकियों को कम से कम रमजान माह और ईद का तो ख्याल रखना ही चाहिए।