दीन दयाल वाहिनी अब राजस्थान में तीसरे मोर्चे को मजबूत करेगी। 

दीन दयाल वाहिनी अब राजस्थान में तीसरे मोर्चे को मजबूत करेगी। 
वसुंधरा राजे की कार्यशौली भाजपा को ले डूबेगी-घनश्याम तिवाड़ी।
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1 जून को मेरी मुलाकात पूर्व मंत्री भाजपा के असंतुष्ट विधायक और अब दीन दयाल वाहिनी के अध्यक्ष घनश्याम तिवाड़ी से जयपुर में उनके श्याम नगर स्थित आवास पर हुई। भाजपा की आंतरिक स्थिति दीन दयाल वाहिनी की आगमी विधानसभा चुनाव में भूमिका, मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की कार्यशैली आदि पर तिवाड़ी से खुलकर बातचीत हुई। तिवाड़ी ने कहा कि 31 मई को देश भर के उपचुनावों के जो परिणाम सामने आए हैं उसमें राजनीतिक माहौल तेजी से बदल रहा है। अब राजस्थान में भी वर्ष 2013-14 वाला माहौल नहीं रहा है। ऐसे में प्रदेश में तीसरे मोर्चे की संभावना मजबूत हो रही है। उन्होंने माना कि निर्दलीय विधायक हनुमान बेनीवाल के प्रयास रंग ला रहे हैं। जहां तक उनकी दीनदयाल वाहिनी की भूमिका का सवाल है तो मैं पहले ही कह चुका हंू कि वाहिनी अनेक सीटों पर चुनाव लड़ेगी। हम प्रदेश के सभी 200 विधानसभा क्षेत्रों में अपना संगठन मजबूत कर रहे हैं। लेकिन जिन क्षेत्रों में जीत की पक्की उम्मीद होगी, वहीं पर उम्मीदवार खड़े किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि अब मेरा भाजपा से कोई संबंध नहीं है। मैं सिर्फ तकनीकी आधार पर भाजपा का विधायक हंू। तीसरे मोर्चे के लिए प्रदेश के कई बड़े नेता आपस में संवाद कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री की भूमिकाः
तिवाड़ी ने कहा कि भाजपा में रहते हुए उन्होंने राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे की कार्यशैली को लेकर कई बार भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व का ध्यान आकर्षित किया, लेकिन राष्ट्रीय नेतृत्व ने कोई ठोस कार्यवाही नहीं की। इसी का परिणाम रहा कि अलवर और अजमेर के लोकसभा के उपचुनावों में भाजपा की बुरी हार हुई। राष्ट्रीय नेतृत्व को मेरे अलावा अन्य लोगों ने भी राजस्थान की बुरी स्थिति के बारे में अवगत कराया था, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि राष्ट्रीय नेतृत्व भी वसुंधरा राजे से मिला हुआ है। इसका ताजा उदाहरण प्रदेश अध्यक्ष का मामला है। पिछले डेढ़ माह से प्रदेश अध्यक्ष का पद रिक्त पड़ा है। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर राष्ट्रीय नेतृत्व की ऐसी क्या मजबूरी है कि चुनावी वर्ष में प्रदेश अध्यक्ष तक की नियुक्ति नहीं हो पा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार में जबरदस्त भ्रष्टाचार है। आम लोगों का सरकारी दफ्तारों में रिश्वत दिए बिना कार्य नहीं हो रहा है। मंत्रियों की कार्यशैली के बारे में मुख्यमंत्री को भी पता है। लेकिन किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लग रहा है। इतना ही नहीं कई बड़े समाजों में मुख्यमंत्री की कार्यशैली को लेकर भारी नाराजगी है। सबने देखा कि लोकसभा के उपचुनावों में राजपूत और रावणा राजपूत, ब्राह्मण आदि जातियांे ने भाजपा उम्मीदवारों को खुलकर विरोध किया। यह विरोध मुख्यमंत्री को लेकर ज्यादा था, लेकिन इसके बावजूद भी राष्ट्रीय नेतृत्व ने कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं की। वसुंधरा राजे की यही कार्यशैली नवम्बर में होने वाले विधानसभा के चुनाव में ले डूबेगी।
13 नम्बर का बंगलाः
तिवाड़ी ने सवाल उठाया कि आखिर वसुंधरा राजे पिछले चार वर्षों से सिविल लाइन स्थित सरकार के बंगला संख्या 13 का उपयोग किस हैसियत से कर रही हैं। इस बंगले की साज सज्जा पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए हैं। जबकि मुख्यमंत्री को पहले से ही बंगला संख्या 8 आवंटित है। वसुंधरा राजे सचिवालय में जाने के बजाए सरकार के सारे कार्य बंगला संख्या 8 से ही करती हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि जब वसुंधरा राजे पूर्व मुख्यमंत्री हो जाएंगे तब बंगला संख्या 13 का उपयोग करेंगी। लेकिन मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए सीएम ने गैर कानूनी तरीके से बंगला संख्या 13 पर कब्जा कर रखा है। इस संबंध में उन्होंने पिछले दिनों ही राज्पाल कल्याण सिंह को शिकायत की है। तिवाड़ी ने कहा कि एक ओर सुप्रीम कोर्ट पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला आवंटित किए जाने के खिलाफ आदेश दे रहा है, वहीं राजस्थान में वर्तमान मुख्यमंत्री ने पूर्व मुख्यमंत्री का बंगला आवंटित करवा लिया है।
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