देख तेरे कश्मीर की हालत क्या हो गई महबूूबा! भाजपा भी कम दोषी नहीं। आतंकी संगठन आईएएस ने पैर जमाएं । ======
22 जून शुक्रवार की नमाज के दिन कश्मीर के पुलवामा के त्राल शहर में आतंकियों ने सुरक्षा बलों के वाहन पर ग्रेनेड से हमला किया। इस हमले के बाद उपद्रवियों ने जिस तरह पत्थरबाजी कर खुलेआम आतंकी संगठन आईएस के झंडे लहराए उससे साफ प्रतीत हो रहा था कि कश्मीर घाटी के हालात काफी बिगड़ चुके हैं। कोई तीन वर्ष तक पीडीपी की नेता महबूबा मुफ्ती ने भाजपा का समर्थन से सारकार चलाई। अब जब गठबंधन टूटा तो महबूबा ने कहा कि मैंने अपना एजेंडा पूरा कर लिया। 22 जून की घटना बताती है कि महबूबा ने मुख्यमंत्री रहते हुए घाटी में अलगाववाद को मजबूत करने और आईएस को पैर पसारे का पूरा अवसर दिया। एक तरफ आतंकियों को मजबूत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह कहते रहे कि भारत का कोई मुसलमान आईएस में शामिल नहीं है, लेकिन 22 जून को त्राल में जाहिर हो गया कि एक नहीं बल्कि अनेक कश्मीरी आईएस में शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, राजनाथ सिंह, निर्मला सीतारमन आदि माने या नहीं, लेकिन अब कश्मीर घाटी के हालात सीरिया और इराक जैसे हो गए हैं। महबूबा और भाजपा की गठबंधन सरकार में हालात और बिगड़े हैं। जब सुरक्षा बलों पर ग्रेनेड फेंके जा रहे हैं तो हालातों का अंदाजा लगाया जा सकता है। महबूबा के नेतृत्व वाली सरकार में भाजपा को फलीगुड हो रहा हो, लेकिन पाक प्रशिक्षित आतंकी घाटी में स्वयं को मजबूत करने में लगे हुए थे। हालांकि हमारे सुरक्षा बलों के जवानों के हौंसले बुलंद है,ं लेकिन सवाल यह भी उठता है कि जो जेहादी बंदूक की गोली से नहीं डरते हैं उनका क्या किया जाए? महबूबा के माध्यम से भाजपा ने गत तीन सालों में अलगाववादियों को मनाने की हर संभव कोशिश कर ली। लेकिन भाजपा की इस नीति को अलगाववादियों ने सरकार की कमजोरी समझा। खास बात तो यह है कि कश्मीर घाटी के सभी राजनीतिक अलगाववादियों के साथ है। जिन महबूबा ने भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री के पद का सुख भोगा, उसने भी गठबंधन खत्म होते ही अलगाववादियों की भाषा बोलते हुए कहा कि कश्मीर के मुद्दे पर भारत को पाकिस्तान से बात करनी चाहिए। यानि अलगाववादी आजादी की जो मांग कर रहे हैं उस पर पाकिस्तान के साथ वार्ता हो। कांग्रेस के शासन के समय तो यह आरोप लगा कि घाटी से चार लाख हिन्दुओं को पीट पीट कर भगा दिया गया, लेकिन अब भाजपा के शासन में अलगाववादियों को मजबूत किया जा रहा है। हालात इतने खराब हैं कि सशस्त्र सुरक्षा बलों की मौजूदगी में ही आईएस के झंडे लहराए जा रहे हैं।