आवासीय नक्शे पर बन रहे व्यावसायिक निर्माण को अभी सीज क्यों नहीं किया जाता? अजमेर में जरूरी है सख्त कार्यवाही।
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अजमेर के नगर निगम प्रशासन ने दो दिन पहले जयपुर रोड स्थित तीन मंजिला एक भवन को सीज कर दिया। इस भवन में मारुति कार का शोरूम एसबीआई की इंशोरेंस आदि कंपनियों के दफ्तर भी संचालित थे। निगम का तर्क है कि ये भवन आवासीय नक्शे पर व्यावसायिक बना हुआ है। निगम का तर्क अपनी जगह सही हो सकती है। लेकिन सवाल उठता है कि जब आवासीय नक्शे पर व्यावसायिक निर्माण हो रहा था तब सीज क्यों नहीं किया जाता। कोई व्यावसायिक निर्माण दो चार महीने में नहीं होता, बल्कि दो तीन वर्ष लग जाते हैं। क्या इन दो तीन वर्षों में निगम के सफाई कर्मचारी से लेकर आयुक्त तक को जानकारी नहीं हो पाती? स्वयं निगम का रिकाॅर्ड बतता है कि निर्माणाधीन काॅम्प्लेक्स के बारे में शिकायतें आती है। लेकिन फिर भी पूरा काॅम्प्लेक्स बन कर तैयार हो जाता है। सब जानते हैं कि निर्माणाधीन काॅम्प्लेक्स पर कार्यवाही क्यों नहीं होती? निगम ने दो दिन पहले जो काॅम्प्लेक्स सीज किया वे तो तीस वर्ष पुराना है। आज शहर भर में अवैध निर्माणों की बाढ़ आई हुई है। लेकिन इसके बावजूद भी निगम प्रशासन निर्माणाधीन काॅम्प्लेक्सों को सीज नहीं कर रहा है। निगम से बुरा हाल अजमेर विकास प्राधिकरण का है। प्राधिकरण की आवासीय काॅलोनियों में धड़ल्ले से काॅम्प्लेक्स बन रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट का आदेश है किसी भी आवासीय काॅलोनी में व्यावसायिक निर्माण को मंजूरी नहीं दी जा सकती है, लेकिन प्राधिकरण के अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट की भी परवाह नहीं है। मीडिया में जो खबरे आती हैं उनकी तो बिल्कुल भी परवाह नहीं की जाती। असल में नीचे से लेकर ऊपर तक जो भ्रष्टाचार फैला हुआ है उसी की वजह से सरे आम कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही है।