इधर लाभार्थियों का पीएम से संवाद तो उधर अल्पसंख्यक का प्रमाण पत्र लेने के लिए भटक रहे हैं युवा।
इधर लाभार्थियों का पीएम से संवाद तो उधर अल्पसंख्यक का प्रमाण पत्र लेने के लिए भटक रहे हैं युवा। अजमेर कलेक्टर का जवाब निराशाजनक।
एक ओर 7 जुलाई को जयपुर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राजस्थान के लाभार्थियों से सीधा संवाद करेंगे तो वहीं प्रदेशभर में युवा वर्ग अल्प संख्यक का प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए तहसील कार्यालय के धक्के खां रहे हैं। सरकार ने मुसलमानों के साथ-साथ जैन, सिक्ख, बौद्ध, ईसाई और पारसी सम्प्रदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा दे रखा है, लेकिन इन समुदाय के लोगों को सरकार की सुविधाएं तभी मिलेगी, जब अल्पसंख्यक होने का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करेंगे। यह प्रमाण पत्र संबंधित तहसील से जारी होता है। जिन लोगों के पास जमीन जायदाद है वे तो दस्तावेज दिखाकर प्रमाण पत्र हासिल कर रहे हैं, लेकिन जिन गरीब लोगों के पास जमीन जायजाद नहीं है उन्हें आधार कार्ड आदि पर भी प्रमाण पत्र नहीं दिया जा रहा है।
कलेक्टर का निराशाजनक जवाबः
भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चे की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य और पूर्व सरपंच अब्दुल बारी चिश्ती ने बताया कि इस समस्या को लेकर वे अजमेर की जिला कलेक्टर आरती डोगरा से मिले थे, लेकिन कलेक्टर का जवाब निराशाजनक रहा। कलेक्टर ने कहा कि सरकार ने जो नियम बनाए है उनका तो पालन करना ही होगा। जबकि बारी का कहना रहा कि तहसील में बैठे अधिकारी नियमों का गलत अर्थ निकाल रहे हैं। जब आधार कार्ड के साथ-साथ क्षेत्रीय पार्षद भी प्रमाण पत्र दे रहा है तो फिर तहसील को अल्पसंख्यक होने का प्रमाण पत्र जारी करना ही चाहिए। कलेक्टर को सरकार का प्रतिनिधि माना जाता है। यदि छोटी-छोटी समस्याओं का समाधान नहीं होगा तो फिर कलेक्टर का क्या फायदा। बारी ने बताया कि अल्पसंख्यक का प्रमाण पत्र नहीं मिलने से स्कूलों में मुस्लिम बच्चियों के एडमिशन भी नहीं हो रहे हैं। वैसे ही मुस्लिम बच्चियां कम पढ़ती है, लेकिन जो बच्चियां पढ़ रही है, उनके अभिभावकों को मुसलमान होने का प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए धक्के खाने पड़ रहे हैं।
अफरोज नाज का नहीं हो रहा एडमिशनः
अजमेर के दरगाह क्षेत्र में रहने वाले सैयद जाकिर अली की बेटी अफरोज नाज ने स्कूल की पढ़ाई पूरी कर ली है। अब उसे अजमेर के ही राजकीय गर्ल्स कॉलेज में प्रथम वर्ष में प्रवेश लेना है, लेकिन जाकिर अली को मुसलमान होने का प्रमाण पत्र ही नहीं मिल रहा है। अली का कहना है कि उसके पास जमीन जायजाद नहीं है, इसलिए तहसील वाले प्रमाण पत्र नहीं दे रहे हैं। इस संबंध में अजमेर के जिला अल्पसंख्यक अधिकारी यूडी खन ने भी माना कि मुसलमानों को अल्पसंख्यक होने का प्रमाण पत्र लेने में परेशानी हो रही है। वहीं तहसीलदार सोहन कुमार कुमावत का कहना रहा कि समस्या का समाधान निकाला जाएगा।