तो नवीं कक्षा में दो बार फेल हुए अजमेर के डिप्टी मेयर सम्पत सांखला।
तो नवीं कक्षा में दो बार फेल हुए अजमेर के डिप्टी मेयर सम्पत सांखला। 2010 में दसवीं पास का दावा भी झूठा।
अजमेर के सिविल लाइन थानाधिकारी को एक पत्र लिखकर अजमेर के डिप्टी मेयर संपत सांखला ने स्वीकार किया कि वर्ष 2010 में जब उन्होंने वार्ड नम्बर 18 से पार्षद का नामांकन दाखिल किया था, तब दसवीं कक्षा उत्तीर्ण नहीं की थी। भाजपा पार्षदों के नामांकन भरने के लिए संगठन की ओर से एक टीम बनाई गई थी। टीम के किसी सदस्य ने ही नामांकन मंे दसवीं उत्तीर्ण का उल्लेख कर दिया। चूंकि 2010 में पार्षद के लिए 10वीं पास की अनिर्वायता नहीं थी, इसलिए मैंने कोई लाभ नहीं उठाया। इसके बाद मैंने दिल्ली स्थित राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय के माध्यम से दसवीं के समकक्ष उत्तीर्णता हासिल की। इसलिए 2015 में जब पार्षद का नामांकन दाखिल किया तब दसवीं पास होना लिखा गया।
कोर्ट के आदेश के बाद सफाईः
असल में आरटीआई कार्यकर्ता सत्यनारायण गर्ग ने अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या 3 के समक्ष एक वाद प्रस्तुत कर आरोप लगाया था कि वर्ष 2010 में सांखला ने स्वयं को राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से तथा 2015 में राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय से दसवीं उत्तीर्ण बताया। गर्ग के वाद पर ही न्यायाधीश राजेश मीणा ने सिविल लाइन थानाधिकारी को जांच के आदेश दिए थे। जांच के दौरान सम्पत सांखला ने अपना पक्ष रखा।
9वीं में दो बार फेलः
पुलिस जांच में ही अजमेर के कचहरी रोड स्थित गुजराती सीनियर हायर सैकंडरी स्कूल प्राधानाचार्य ने भी रिकॉर्ड के अनुसार बताया कि संपत सांखला ने 16 जुलाई 1986 को नवीं कक्षा में प्रवेश लिया था, लेकिन लगातार दो वर्षों तक सांखला 9वीं कक्षा में फेल होते रहे। इसलिए हमारे स्कूल से सांखला ने दसवीं की परीक्षा ही नहीं दी।
20 जुलाई को सुनवाईः
डिप्टी मेयर सम्पत सांखला की शैक्षणिक योग्यता और पार्षद चुनाव में नामांकन भरने को लेकर पुलिस ने अब तक जो जांच की उस पर 20 जुलाई को सुनवाई होगी। याचिकाकर्ता गर्ग के वकील विवेक पाराशर ने बताया कि पुलिस ने अपनी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है। अब अदालत को निर्णय लेना है। हो सकता है कि 20 जुलाई को कोई आदेश पारित हो जाए।