समाज में ताकतवर बनने के लिए शिक्षित होना जरूरी।

समाज में ताकतवर बनने के लिए शिक्षित होना जरूरी।
एससी और मुस्लिम वर्ग के अधिकारी-कर्मचारियों का संयुक्त सम्मेलन। 9 अगस्त के भारत बंद का मुद्दा भी उठा।
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29 जुुलाई को जयुपर के दुर्गापुरा स्थित राज्य सरकार के कृषि प्रबंधन संस्थान के वातानुकुलित सभागार में राजस्थान भर के अनुसूचित जाति और मुस्लिम वर्ग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों का एक संयुक्त सम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन में बड़े प्रशासनिक अधिकारी और कर्मचारी शामिल रहे। हालांकि इस सम्मेलन को संगोष्ठी का रूप दिया गया। संगोष्ठी का विषय था हाशिये पर रहे समाज के सामाजिक आर्थिक उत्थान में शिक्षा की भूमिका। इस सम्मेलन का आयोजन डाॅ. अम्बेडकर अनुसूचित जाति अधिकारी-कर्मचारी एसोसिएशन एवं अल्पसंख्यक अधिकारी-कर्मचारी महासंघ के बैनर तले किया गया। सम्मेलन के मुख्य वक्ता रहे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पूर्व अध्यक्ष पद्मश्री डाॅ. एसडी थोराट, हैदराबाद स्थित विधि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. फैजान मुस्तफा तथा जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रो. गोपाल गुरु थे। इसके अतिरिक्त आईपीएस सतवीर सिंह, मुस्तफा अली, हेदरअली, आईएएस विकास भाले, रवि प्रकाश मेहरडा, निरंजन आर्य, एडीशनल चीफ इंजीनियर सलामत अली, रिटायर डीजी जसवंत सम्पत राम, आरपीएससी के पूर्व अध्यक्ष हनुमान प्रसाद, अरिफ हुसैन, धौलपुर के कलेक्टर नन्नूमल पहाड़िया, बीएल आर्य, मौलाना अयूब कासमी, नवाब हिदायतउल्ला आदि ने भी विचार प्रकट किए। दोनों वर्गों के अधिकारियों और कर्मचारियों के प्रतिनिधियों का मानना था कि शिक्षा के अभाव की वजह से अधिकारों का उपयोग नहीं हो रहा है। हमारे वर्ग के बच्चे अपने अधिकारों से वंचित हैं। समाज में जो जागरुकता होनी चाहिए वह भी नहीं है। जिसकी वजह से राजनीतिक पिछड़ापन भी है। रिटायर अधिकारियों का कहना रहा कि राजनीतिक दलों को हमारे वर्ग के प्रतिनिधियों को उचित प्रतिनिधित्व देना चाहिए। सम्मेलन में यह निर्णय लिया गया कि एससी और मुस्लिम वर्ग आपस में मिलकर कार्य करे, ताकि बच्चों को शिक्षित किया जा सके। सम्मेलन में 9 अगस्त के भारत बंद को लेकर भी चर्चा हुई। कुछ अधिकारियों ने गत दो अप्रैल के भारत बंद के अनुभवों को भी सांझा किया। सम्मेलन में इस बात को लेकर नाराजगी थी कि दो अप्रैल को जो अधिकारी और कर्मचारी अनुपस्थित रहे उनके विरुद्ध कार्यवाही की है। सम्मेलन में आम राय थी कि एससी एसटी के कानून में बदलाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया है उसे तत्काल प्रभाव से खारिज किया जाए। इसके लिए संसद के मौजूद सत्र में ही विधेयक लाया जाए। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से एससी एसटी वर्ग के अधिकारों का अनन हो रहा है। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर निर्णय दिया था कि एससी एसटी एक्ट में दर्ज होने वाली एफआईआर पर गिरफ्तारी से पहले उच्च स्तरीय जांच करवाई जावे। हालांकि एक्ट में संशोधन की कोई बात नहीं कही। इसी को लेकर एससी एसटी वर्ग ने गत दो अप्रैल को भारत बंद किया था और अब 9 अगस्त को एक बार फिर से भारत बंद का आह्वान किया है। इसको लेकर देश का राजनीतिक माहौल भी गर्म है। 29 जुलाई को हुए संयुक्त सम्मेलन को लेकर भी राजस्थान के राजनीतिक माहौल में गर्मी आई है।
मंच पर नहीं लगी कुर्सीः
दुर्गापुरा स्थित कृषि प्रबंधन संस्थान के सभागार में मंच पहले से ही बना है, लेकिन मंच पर किसी भी अतिथि के लिए कुर्सी नहीं लगाई गई। सभी अतिथियों वक्ताओं और सम्मेलन में भाग लेने वाले लोगों को मंच के सामने ही बैठाया गया। जिस वक्ता को बोलना था, वही मंच पर उपस्थित रहा। ऐसा इसलिए किया गया कि ताकि सबको समान रूप से देखा जावे।
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