लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के धैर्य और शालीनता की भी प्रशंसा होनी चाहिए। विधानसभा के अध्यक्ष सीख ले सकते है।
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केन्द्र की मोदी सरकार के खिलाफ रखे गए अविश्वास प्रस्ताव पर 20 जुलाई को लोकसभा में लगातार 12 घंटे बहस हुई। कांग्रेस के लोग राहुल गांधी के भाषण पर इतरा रहे हैं तो भाजपा के कार्यकर्ता नरेन्द्र मोदी के जवाब से गर्व महसूस कर सकते हैं, लेकिन 12 घंटे तक बिना लंच एवं डिनर ब्रेक के लोकसभा का संचालन कराने के लिए अध्यक्ष सुमित्रा महाजन की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है। जिन लोगों ने टीवी पर बहस का लाइव प्रसारण देखा, उन्होंने देखा कि किन मुसीबतों के साथ महाजन ने सदन का संचालन किया। राहुल गांधी के भाषण के दौरान जब हंगामा हुआ तो सदन को कुछ देर के लिए स्थगित करना पड़ा। अविश्वास प्रस्ताव पर सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को बोलने का अवसर दिया। शायद ही कोई प्रतिनिधि होगा, जिसने निर्धारित समय में अपनी बात कही। दो तीन बार घंटी बजाने के बाद भी जब सांसद चुप नहीं हुए तो महाजन को माइक तक बंद करना पड़ा। इतनी सख्ती दिखाने के बाद भी कोई सांसद नाराज नहीं हुआ। नेशनल काॅन्फ्रेंस के नेता फारुख अब्दुल्ला ने तो बोलते वक्त अध्यक्ष की परवाह ही नहीं की। लेकिन फिर भी सुमित्रा महाजन ने धैर्य बनाए रखा। जब राहुल गांधी ने राफेल एयर क्राफ्ट की खरीद में रक्षामंत्री निर्मला सीतारमन का नाम लिया तो सुमित्रा महाजन ने राहुल को टोकते हुए कहा कि मैं आपके बाद रक्षा मंत्री को जवाब देने का अवसर दूंगी। असल में महाजन जानती थीं कि रक्षा मंत्री के बोलने पर कांग्रेस और विपक्षी दलों के सांसद हंगामा करेंगे, इसलिए अध्यक्ष ने बड़ी समझदारी से राहुल गांधी से सहमति करवा ली। इससे भाजपा के सांसद भी खुश हो गए। क्योंकि राहुल के आरोपों का जवाब हाथों हाथ मिल गया।
भाजपा सांसदों को भी डांटाः
20 जुलाई को भाजपा सांसदों को भी डांटने में महाजन ने कोई कसर नहीं छोड़ी। ऐसे कई मौके आए जब विपक्ष के सांसदों के आरोपों पर भाजपा के सांसदों ने एतराज जताया। इस पर महाजन ने साफ कहा कि आप लोगों को तो हंगामा करने की कोई जरुरत ही नहीं है। बहस शुरू होने से पहले कांग्रेस संसदीय दल के नेता खड़गे ने समय सीमा बढ़ाने की बात कही तो संसदीय मंत्री अनंत कुमार ने मजाकिया लहजे में कहा कि अब जमाना वनडे और 20-20 मैच का है और कांग्रेस अभी पांच दिन का टैस्ट मैच खेलना चाहती है। मंत्री के इस कथन पर अध्यक्ष ने नाराजगी जताई और कहा कि यह क्रिकेट का मैदान नहीं है। साफ कहा कि वे मंत्री की इस टिप्पणी से सहमत नहीं है।
राहुल को भी दो टूकः
भाषण के बाद जब राहुल गांधी नरेन्द्र मोदी से गले मिलने गए तो सुमित्रा महाजन ने साफ कहा कि यह तरीका उचित नहीं है। नरेन्द्र मोदी सदन में देश के प्रधानमंत्री की हैसियत से बैठे हैं। आपको (राहुल) अच्छा लगा हो, लेकिन मुझे नहीं।
विधानसभा अध्यक्ष सीख लेंः
सब जानते हैं कि सुमित्रा महाजन भाजपा की सांसद हैं, लेकिन अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठने के बाद वे सभी सांसदों का ख्याल रखती हैं। 20 जुलाई को विपरित हालातों में भी लोकसभा का सफल संचालन कर सुमित्रा महाजन ने अपनी निष्पक्षता को बनाए रखा। हम देखते हैं कि राज्यों की विधानसभाओं में संबंधित मुख्यमंत्री और सरकार को खुश करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष एक तरफा निर्णय लेते हैं। कई बार तो ऐसा लगता है कि वे अध्यक्ष की नहीं राज्य सरकार के एजेंट की भूमिका निभा रहे हैं।