इसलिए अलग हो रहा है हमारा कश्मीर। तो फिर शाह फैसल आईएएस क्यों बने? अनुच्छेद 35-ए पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टली।
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जम्मू-कश्मीर में लागू अनुच्छेद 35-ए पर 6 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी। चूंकि यह अनुच्छेद भारतीय संविधान से जुड़ा है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ को सुनवाई करनी थी, लेकिन एक न्यायाधीश के अवकाश पर चले जाने के कारण पीठ का गठन नहीं हो सका। अब इस मामले में आगामी 27 अगस्त को सुनवाई होगी। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 35-ए को रद्द करने के लिए एक स्वंय सेवी संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। याचिका में कहा गया है कि इस अनुच्छेद की वजह से जम्मू-कश्मीर के बाहर का कोई व्यक्ति जम्मू-कश्मीर में अचल सम्पत्ति नहीं खरीद सकता है। यह अनुच्छेद कश्मीर को भारत से अलग करता है। चूंकि इस याचिका पर 6 अगस्त को सुनवाई होनी थी, इसलिए कश्मीर के अलगाववादियों ने 5 अगस्त से ही दो दिन के बंद की घोषणा कर दी। बंद को देखते हुए सरकार ने भी ट्रेन, बस आदि की सेवाएं स्थगित कर दी। इतना ही नहीं हमले की आशंका हो देखते हुए अमरनाथ यात्रा को भी रोक दिया गया। असल में अनुच्छेद 370 हो या 35-ए इन सभी की वजह से कश्मीर भारत से अलग हो रहा है। आज कश्मीर में पूरी तरह एक तरफा माहौल है। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर 35-ए को रद्द करने की बात की जा रही हो, लेकिन हकीकत यह है कि इसी कश्मीर घाटी से चार लाख हिन्दुओं के घर जमीन जायदाद छीन कर भगा दिया गया। जब कश्मीर में रहने वाले हिन्दुओं की जमीन ही छीन ली गई तो जमीन और घर खरीदने का अधिकार कैसे मिल सकता है। किसी भी सत्ता में इतनी ताकत नहीं कि वह हिन्दुओं से छीनी गई जमीन को कश्मीर घाटी में वापस दिलवा दे। भारत के संविधान की शपथ लेकर मुख्यमंत्री और केन्द्रीय मंत्री बनने वाले महबूबा मुफ्ती, फारुख अब्दुल्ला, गुलाम नबी आजाद जैसे नेता भी नहीं चाहते कि कश्मीर से 35-ए रद्द हो जाए। अलगाववादियों की मानसिकता में बदलाव के लिए भाजपा ने महबूबा मुफ्ती जैसी नेत्री के साथ भी तीन वर्ष तक सरकार चला कर देख ली। नतीजा वहीं ढाक के तीन पात। बल्कि पीडीपी भाजपा की सरकार में अलगाववादियों को और मजबूती मिली। असल में कश्मीर घाटी से अनुच्छेद 370 या 35-ए हटाने के लिए देश के मुस्लिम वर्ग से मांग नहीं होगी, तब कोई प्रभावी कार्यवाही होना मुश्किल होगा। इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि रोहिंग्या नागिरकों तक को भारत में बसाने के लिए राजनीतिक दल सड़कों पर उतर आते हैं, लेकिन घाटी से भगाए हिन्दुओं को वापस कश्मीर में बसाने के लिए एकजुटता नहीं दिखाई जाती।
फैसल क्यों बने आईएएस?
2010 बैच के आईएएस शाह फैसल ने भी ट्वीट कर कश्मीर से अनुच्छेद 35-ए को रद्द करने का विरोध किया है। भारत के संविधान की शपथ लेने वाले जम्मू-कश्मीर के निवासी शाह फैसल का मानना है कि यदि 35-ए को रद्द किया तो कश्मीर के संबंध देश के अन्य हिस्सों से खत्म हो जाएंगे। शाह फैसल भले ही इन दिनों सरकारी खर्चे पर अमरीका में मास्टर प्रोग्राम की पढ़ाई कर रहे हों, लेकिन उनकी मानसिकता भी अलगाववादियों जैसी है।