ईद के मौके पर कश्मीर घाटी में सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी कितनी उचित। पाकिस्तान और आईएस के झंडे भी लहराए।
======
जब 22 अगस्त को देशभर में ईद का पर्व उत्साह के साथ मनाया जा रहा था और ईदगाह, मस्जिदों के बाहर खड़े हिन्दू भाई नमाज के बाद मुसलमानों को गले लगाकर ईद की मुबारक बाद दे रहे थे, तब हमारे ही देश की कश्मीर घाटी में सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंके जा रहे थे। पत्थरबाजों को सुरक्षा बलों से कोई डर नहीं था, इसलिए वाहनों पर लातें भी मारी जा रही थी। इतना ही नहीं सुरक्षा बलों की मौजूदगी में ही पाकिस्तान और आतंकी संगठन आईएस के झंडे लहराए जा रहे थे। यदि ऐसे हालात देश के किसी अन्य राज्य में होते तो सुरक्षाबलों के जवान सबक सीखा देते। हालांकि कश्मीर घाटी में यह आम बात है लेकिन ईद के मौके पर इस तरह के हालात उत्पन्न होना गंभीर बात है। कहा जाता है कि इस्लाम मंे हिंसा की कोई गुंजाइश नहीं है। इस्लाम तो प्रेम और भाईचारे का पैगाम देता है। सवाल उठता है तो फिर कश्मीर में कौनसे मुसलमान हिंसा कर रहे हैं? सब जानते हैं कि घाटी में सुरक्षा बलों पर पत्थर ही नहीं बल्कि ग्रेनेड से हमले होते हैं। हमारे देश के कई नेता कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ बातचीत की वकालत करते हैं, लेकिन ऐसे नेताओं की घाटी में हिंसा रोकने की पहल करने की हिम्मत नहीं होती, जो नेता बातचीत का सुझाव देते है क्या वे घाटी में जाकर अलगाववादियों और पत्थरबाजों को समझा नहीं सकते? दिल्ली में बैठ कर बयान देना और टीवी चैनलांे की बहस में सरकार को कटघरे में खड़ा करना अलग बात है और घाटी में जाकर पत्थबाजों से संवाद करना अलग बात है। यदि पाकिस्तान समर्थक हमारे नेता पत्थरबाजों को समझा नहीं सकते तो फिर पाकिस्तान में बातचीत का सुझाव क्यों देते हैं? पाकिस्तान तो कश्मीर की आजादी देखना चाहता है तो क्या पाकिस्तान से बात कर कश्मीर को आजाद कर दिया जाए? कश्मीरियों को पहले ही संविधान के अनुच्छेद 35ए और 377 के अंतर्गत विशेष दर्जा मिला हुआ है। पाकिस्तान से बातचीत के समर्थक इस हकीकत को जानते हैं कि 35ए और 377 की वजह से ही घाटी में एक तरफा माहौल हुआ है, जब सरकार संविधान के दायरे में कश्मीरियों से सीधे बात करने को तैयार है तो फिर पाकिस्तान समर्थक नेता कश्मीरियों को वार्ता के लिए तैयार क्यों नहीं करते? पाकिस्तान जाकर भाई चारे की बात करने वाले नेता घाटी में जाकर कश्मीरियों को संविधान के दायरे में वार्ता के लिए तैयार करवावे। जो नेता घाटी में जाकर कश्मीरियों से बात नहीं कर सकते वे कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान से वार्ता करने की बात कहते हैं।