जब डेयरी के एक किलो घी पर 26 रुपए जीएसटी देना पड़ रहा है तब पशुपालकों की आय 2022 तक दो गुनी कैसे होगी? दिल्ली की बैठक में अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचन्द्र च ौधरी ने उठाया सवाल।
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डेयरी उत्पाद और उसके कारोबार से जुड़े देश भर के विशेषज्ञों की एक बैठक 24 अगस्त को दिल्ली में नाॅर्थ ब्लाॅक स्थित वित्त मंत्रालय में हुई। इस बैठक में देशभर की चुनिंदा डेयरियों के विशेषज्ञों के साथ-साथ अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचन्द्र च ौधरी को खास तौर से आमंत्रित किया गया। डेयरी उद्योग से जुड़े पदाधिकारी केन्द्र सरकार से लगातार यह मांग कर रहे हैं कि डेयरी के घी पर जो 12 प्रतिशत जीएसटी लगा रखा है उसे घटा कर पांच प्रतिशत किया जाए। इसी मुद्दे पर दिल्ली में बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में अजमेर डेयरी के अध्यक्ष च ौधरी ने कहा कि प्रतिवर्ष इन दिनों दूध के खरीद मूल्य में दस रुपए प्रति लीटर तक की वृद्धि की जाती है ताकि पशुपालक को उसकी लागत का मूल्य मिल सके। लेकिन इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि इस बार ऐसी वृद्धि नहीं की गई और पशुपालकों से मात्र 32 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से ही दूध की खरीद की जा रही है। असल में इसका मुख्य कारण डेयरी के घी पर 12 प्रतिशत जीएसटी लागू होना है। 12 प्रतिशत जीएसटी की वजह से डेयरी का घी 26 रुपए किलो अधिक बेचा जा रहा है। यदि जीएसटी पांच प्रतिशत हो जाए तो हम दुग्ध उत्पादकों को खरीद मूल्य बढ़ाकर दे सकते हैं। च ौधरी ने कहा कि डेयरी कारोबार संगठित है, इसलिए कर की चोरी नहीं हो सकती। जबकि असंगठित क्षेत्र के कारोबारी जीएसटी की चोरी कर बाजार में घी सस्ती कीमत पर बेचते हैं। ऐसे में पूरे देश में डेयरी कारोबार घाटे में चल रहा है। च ौधरी ने सवाल उठाया कि जब केन्द्र सरकार 2022 तक पशुपालकों की आय दोगुनी करना चाहती है तो फिर घी पर जीएसटी की दर में कमी क्यों नहीं की जा रही। च ौधरी ने बैठक में मांग की कि तत्काल प्रभाव से जीएसटी की दर को कम किया जा सके। च ौधरी ने कहा कि पूर्व में 7 हजार 300 रुपए में 15 किलो घी का टिन बेचा जाता था, जिसे प्रतिस्पद्र्धा के कारण मात्र 4 हजार 800 रुपए में कर दिया गया है। लेकिन इसके बावजूद भी डेयरी के घी की बिक्री नहीं बढी है। च ौधरी के तर्कों से बैठक में उपस्थित सभी विशेषज्ञों ने सहमति जताई। बैठक के संबंध में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9414004111 पर रामचन्द्र च ौधरी से ली जा सकती है।