तो भगवंत यूनिवर्सिटी से हटाए गए कर्मचारियों ने ही बेनामी सम्पत्ति की जानकारी आयकर विभाग को दी। मजदूर राधे जाटव खोल सकता है गोपनीय राज।
=====
अजमेर के चाचियावास गांव में भगवंत यूनिवर्सिटी के सामने 20 बीघा भूमि को बेनामी सम्पत्ति मानते हुए आयकर विभाग की बेेनामी सम्पत्ति निषेध यूनिट ने भूमि को जब्त करने की जो कार्यवाही की है। उसमें अब एक नया और चैंकाने वाला तथ्य सामने आया है। बताया जा रहा है कि बेनामी सम्पत्ति की जानकारी भगवंत यूनिवर्सिटी से हटाए गए कर्मचारियों ने ही आयकर विभाग को दी है। सूचना लीक करने में यूनिवर्सिटी के एक पूर्व रजिस्ट्रार और एक महिला अधिकारी का नाम सामने आ रहा है। यूनिर्सिटी के रजिस्ट्रार रहे इस कार्मिक और चेयरमैन अनिल सिंह के बीच पारिवारिक संबंध थे। इस अधिकारी पर यूनिवर्सिटी में सबसे ज्यादा भरोसा किया जाता था। इसकी पहल पर उत्तर प्रदेश के बुलंद शहर के असनावली गांव के राधे जाटव नाम के ग्रामीण के नाम वर्ष 2006 में 7 खातेदारों से 20 बीघा भूमि खरीदी गई। आज भले ही इस भूमि की कीमत चालीस करोड़ रुपए हो, लेकिन तब मात्र चार लाख रुपए का भुगतान ही कागजों में दिखा गया। आयकर विभाग को जो सूचना दी गई उसमें यह भी बताया गया कि राधे जाटव भी भगवंत यूनिवर्सिटी से जुड़ा रहा है। भगवंत यूनिवर्सिटी से जुड़े गाजियाबाद आदि के शिक्षण संस्थानों में राधे कृषि से जुड़ा कार्य करता रहा है। हालांकि अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है। लेकिन यह सही है कि 20 बीघा भूमि चाचियावास में भगवंत यूनिवर्सिटी के सामने ही है। जानकारों की माने तो वर्ष 2006 में जब चार लाख रुपए में 20 बीघा भूमि की रजिस्ट्री करवाई गई, जब खरीददार राधे जाटव आर्थिक दृष्टि से समक्ष था। राधे ने इस संबंध में आयकर विभाग को आवश्यक दस्तावेज भी दिखाएं हैं।
इसलिए करवाई राधे के नाम रजिस्ट्रीः
चूंकि 20 बीघा भूमि एससी वर्ग के खातेदारों के नाम थी, इसलिए राधे जाटव के नाम पर ही खरीद की गई। कानून के अनुसार एससी वर्ग की कृषि भूमि को एससी वर्ग का व्यक्ति ही खरीद सकता है। यदि एससी वर्ग के व्यक्ति की भूमि सामान्य वर्ग का कोई व्यक्ति खरीदता है तो वह रजिस्ट्री रद्द हो जाएगी। लेकिन नियम यह भी है कि यदि कृषि भूमि की किस्म बदल जाए तो फिर वह सामान्य व्यक्ति को बेची जा सकती है। असल में इस नियम के तहत ही राधे खटीक ने गत वर्ष अजमेर विकास प्राधिकरण में 20 बीघा भूमि को आवासीय करने के लिए धारा 90ए में आवेदन किया। इस आवेदन के बाद ही आयकर विभाग को यह जानकारी मिली कि चाचियावास में भगवंत यूनिवर्सिटी के सामने 20 बीघा भूमि का बेनामी सौदा हुआ है। चूंकि जानकारी पुख्ता थी, इसलिए विभाग ने तत्काल जप्त की कार्यवाही की। हालांकि अभी असली खरीददार सामने नहीं आएं हंै। लेकिन यदि पहचान उजागर होतीे है तो सात वर्ष तक की जेल का प्रावधान है। सरकार ने बेनामी सम्पत्ति को जप्त करने का कानून भले ही वर्ष 2016 में बनाया हो, लेकिन इसके दायरे में 1988 के बाद हुए सौदे भी आएंगे। यानि भगवंत यूनिवर्सिटी के सामने वाले राधे जाटव का सौदा भी शामिल हैं।
अन्य मामले भी उजागरः
मजदूर राधे जाटव के साथ-साथ चाचियावास में ही अन्य बेनामी सम्पत्तियों के मामले भी उजागर हुए हैं। इनमें एक महिला चिकित्सक तीन व्यवसायी, दो एनआरआई आदि शामिल हैं। आयकर विभाग की इस जांच पड़ताल से भू-कारोबारियों में खलबली मच गई है। अब देखना है कि जांच कहां तक जाती है।