सोनिया गांधी के गृह प्रदेश राजस्थान में कांग्रेस पार्टी में बवाल। कोटा से ओम बिरला को जिताने के लिए शांति धारीवाल को जो कुछ करना था वह कर दिया। आखिर सीपी जोशी ने ही हिम्मत दिखाई।

राष्ट्रीय स्तर का जो नेता जिस प्रदेश से राज्यसभा का सांसद होता है वह प्रदेश उस नेता का गृह प्रदेश माना जाता है। इस लिहाज से कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी का गृह प्रदेश राजस्थान है। सोनिया गांधी हाल ही में राजस्थान में राज्य सभा के लिए चुनी गई है, लेकिन कांग्रेस के लिए यह अफसोसनाक बात है कि सोनिया गांधी के गृह प्रदेश राजस्थान में पार्टी में बवाल मचा हुआ है। ऐसा प्रतीत होता है कि अधिकांश कांग्रेसियों को सोनिया गांधी की उपस्थिति का कोई डर नहीं है। यदि डर होता तो 29 मार्च को कोटा में कांग्रेस के प्रत्याशी प्रहलाद गुंजल को पूर्व मंत्री और मौजूदा विधायक शांति धारीवाल सार्वजनिक तौर पर अपमानित नहीं करते। कांग्रेस उम्मीदवार की घोषणा संसदीय बोर्ड ही करता है। यह पता होने के बाद भी कोटा शहर जिला कांग्रेस कमेटी की खुली बैठक में धारीवाल ने अपनी ही पार्टी के प्रत्याशी प्रहलाद गुंजल को सांप्रदायिक विचारधारा का बता दिया। जिन धारीवाल पर गुंजल को लोकसभा चुनाव जितवाने का दायित्व है उन धारीवाल ने गुंजल को सांप्रदायिक विचारधारा का कहकर कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने का काम किया। धारीवाल ने अल्पसंख्यक मतदाताओं को बता दिया कि गुंजल सांप्रदायिक विचारधारा के व्यक्ति रहे है। कोटा के राजनीतिक क्षेत्रों में चर्चा है कि धारीवाल ने भाजपा के प्रत्याशी ओम बिरला (लोकसभा अध्यक्ष) को जिताने के लिए जो कुछ भी करना था वह कर दिया। मालूम हो कि हाल ही के विधानसभा चुनाव में कोटा शहर से प्रहलाद गुंजल भाजपा के उम्मीदवार थे। गुंजल के सामने धारीवाल बड़ी मुश्किल से चुनाव जीत पाए। खुद गुंजल का आरोप रहा कि धारीवाल को जितवाने में कोटा के सांसद ओम बिरला ने सहयोग किया है। असल में यह भी माना जाता है कि विधानसभा चुनाव में ओम बिरला के समर्थक पर्दे के पीछे से धारीवाल को मदद करते हैं और लोकसभा चुनाव में धारीवाल के समर्थक ओम बिरला को सहयोग देते है। चूंकि धारीवाल विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं। इसलिए अब मदद करने की बारी धारीवाल की है।
चुनाव से पहले ही हार स्वीकारी:
जयपुर शहर से घोषित कांग्रेस के प्रत्याशी और पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने चुनाव से पहले ही हार स्वीकार कर ली है। ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस की हार सुनिश्चित करने में खाचरियावास खुद ही भूमिका निभा रहे है। खाचरियावास ने कहा कि उम्मीदवार बनने के लिए पहले ही मना कर दिया था, लेकिन फिर भी पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार घोषित कर दिया। खाचरियावास ने कहा कि आठ में से 6 विधायक भाजपा के हैं, ऐसे में कांग्रेस की जीत कैसे हो सकती है। सवाल उठता है कि जब खाचरियावास चुनाव ही नहीं लड़ना चाहते थे तो फिर उन्हें उम्मीदवार क्यों बनाया? कांग्रेस ने राजसमंद से सुदर्शन रावत को उम्मीदवार घोषित किया, लेकिन रावत ने भी उम्मीदवार बनने से इंकार कर दिया। अब कांग्रेस ने भीलवाड़ा में घोषित डॉ. दामोदर गुर्जर को राजसमंद में उम्मीदवार बनाया है। एक ओर कांग्रेस के घोषित उम्मीदवार चुनाव नहीं लड़ना चाहते तो वहीं सीकर और नागौर की सीट समझौते में दे दी है। सीकर में उस वाम दल को सीट दी गई है जो वायनाड (केरल) में राहुल गांधी को हराने का काम कर रहा है। इसी प्रकार जो हनुमान बेनीवाल दस दिन पहले तक कांग्रेस को गालियां बकते थे, उन्हीं बेनीवाल को नागौर में कांग्रेस समर्थन दे रही है। सोनिया गांधी का गृह प्रदेश होने के बाद भी कांग्रेस के दिग्गज नेता भाजपा में शामिल हो रहे हैं। इससे साफ जाहिर है कि सोनिया गांधी की मौजूदगी के बाद भी कांग्रेस पर कोई नियंत्रण नहीं है। 
सीपी जोशी ने साहस दिखाया:
कांग्रेस के बड़े नेता भले ही चुनाव लडऩे से बच रहे हो, लेकिन विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष सीपी जोशी ने भीलवाड़ा से चुनाव लड़ने का साहस दिखाया है। कांग्रेस ने 29 मार्च को जोशी को भीलवाड़ा से उम्मीदवार घोषित कर दिया है। जोशी भी हाल ही में नाथद्वारा से विधानसभा का चुनाव हार चुके है, लेकिन पार्टी का निर्देश स्वीकार करते हुए जोशी ने भीलवाड़ा से चुनाव लडऩे की सहमति दी है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (30-03-2024)

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