लोकतंत्र में नाराजगी का इजहार पत्थरबाजी से नहीं वोट से होना चाहिए। राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे की गौरव यात्रा पर पत्थर फेंकने और सभा में नारेबाजी करने का मामला। भाजपा भी दे सकती है ईंट का जवाब पत्थर से-राठौड़।
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नवम्बर में होने वाले विधानसभा चुनाव को जीतने के लिए राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे इन दिनों प्रदेशभर में गौरव यात्रा निकाल रही हैं। 25 अगस्त को सीएम की यात्रा जोधपुर संभाग में थी। सीएम ने सुबह सेखला से यात्रा शुरू की। यहीं से यात्रा का विरोध शुरू हो गया जो रात को पीपाड़ कस्बे तक जारी रहा। जगह-जगह यात्रा पर पत्थर फेंके तथा सभाओं में सीएम के विरोध में नारे लगाए। कई विधानसभा में वर्तमान भाजपा विधायक को दोबारा से टिकट नहीं देने की मांग की गई। तय कार्यक्रम के अनुसार सीएम को 25 अगस्त को खेजडला में रात्रि विश्राम करना था, लेकिन दिनभर की पत्थरबाजी और विरोध की घटनाओं से परेशान सीएम ने रात को ही जोधपुर हवाई अड्डे पर चार्टर प्लेन मंगवाया और जयपुर चलीं गई। 25 अगस्त की घटनाओं का सरकार पर कितना असर पड़ा, जिसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि 26 अगस्त की सुबह ही सीएम के सबसे भरोसे वाले मंत्री राजेन्द्र सिंह राठौड़ ने प्रेस काॅन्फ्रेंस कर ली। राठौड़ ने गुस्साए अंदाज में कहा कि भाजपा भी ईंट का जवाब पत्थर से दे सकती है। लेकिन हम ऐसा नहीं करेंगे। गौरव यात्रा में पत्थरबाजी के लिए राठौड़ ने कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है।
सरकार चिंतितः
25 अगस्त को जिस तरह जगह जगह पत्थर, काले झंडे, विरोध आदि की घटनाएं हुई, उससे सरकार चिंतित है। गौरव यात्रा की सुरक्षा के लिए पहले ही आईजी स्तर के अधिकार तैनात रहते हैं। सीएम की सभा में काली ड्रेस वाले भाजपा कार्यकर्ताओं को भी प्रवेश नहीं दिया जाता है। जिस मार्ग से सीएम की बसनुमा गौरव यात्रा गुजरती है, उस मार्ग पर चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा कर्मी तैनात होते हैं, लेकिन इसके बाद भी सीएम की गौरव यात्रा का इतने पैमाने पर विरोध हो जाना राजनीतिक दृष्टि से मायने रखता है। यह तब हो रहा है जब भाजपा की ओर से 200 में से 180 सीटें जीतने का दावा किया जा रहा है। अभी भाजपा के 162 विधायक हैं। सीएम की गौरव यात्रा जोधपुर संभाग में ही 29 अगस्त को फिर से होगी। ऐसे सुरक्षा इंतजामों की दोबारा से समीक्षा की जा रही है। हो सकता है कि अब बसनुमा रथ से यात्रा को कम कर दिया जाए, ताकि लोगों को पत्थर फंेकने का मौका ही नहीं मिले।
वोट से होनी चाहिए नाराजगीः
हमारे देश में लोकतंत्र हैं, जहां हर पांच वर्ष में चुनाव होते हैं। मतदाता नराज होता है तो सत्तारूढ़ दल को हरा देता है। राजस्थान में पिछले बीस वर्षों से ऐसा ही हो रहा है। पांच वर्ष कांग्रेस तो अगले पांच वर्ष भाजपा की सरकार होती है। ऐसे में किसी भी राजनीतिक दल के कार्यक्रम में पत्थरबाजी करना उचित नहीं है। लोगों में वाकई सरकार के प्रति नाराजगी है तो नवम्बर में होने वाले विधानसभा चुनाव में वोट के जरिए निकाली जा सकती है। राजस्थान में अब तक साफ-सुथरी राजनीति रही है। इसलिए सभी दल अपने अपने नजरिए से राजनीतिक कार्यक्रम करते हैं। भाजपा अपनी सरकार की उपलब्धियों को गिनाने के लिए यदि गौरव यात्रा निकाल रही है तो कांग्रेस भी संभाग स्तर पर संकल्प रैली कर रही है, ताकि भाजपा सरकार की नाकामियों को उजागर किया जा सके। यदि एक दूसरे के कार्यक्रमों में विरोध होगा तो प्रदेश का माहौल बेवजह बिगड़ेगा। नेताओं पर वोट की चोट पत्थर की मार से भी गहरी होती है। सत्ता का सुख भोग रहे नेता को भी पत्थर से नहीं वोट से डर लगता है।