स्मार्ट सिटी में अब चार-पांच दिन में एक बार पेयजल की सप्लाई। क्या अजमेर के भाजपा और कांग्रेस नेताओं को शर्म आएगी?
=====
6 सितम्बर को जयपुर में जलदाय विभाग के अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय बैठक हुई, इस बैठक में बीसलपुर बांध के पानी को जयपुर और अजमेर में वितरित किए जाने पर निर्णय लिया गया। चूंकि इस बार बरसात का पानी अभी तक भी बीसलपुर बांध में नहीं आया है, इसलिए बांध में 309.25 मीटर पानी ही बचा है। बांध की भराव क्षमता 315.50 मीटर की है। ऐसी स्थिति में बांध के पाानी को जुलाई 2019 तक चलाने के लिए यह निर्णय हुआ कि जयपुर और अजमेर की वर्तमान सप्लाई में कटौती की जाए। हालांकि अजमेर में तो पहले से ही जयपुर से आधा पानी ही लिया जा रहा था, लेकिन अब इस आधे पानी में भी कटौती कर दी गई है। निर्णय के मुताबिक अब बीसलपुर बांध से जो पानी लिया जाएगा, उसमें अजमेर शहर में चार-पांच दिन तथा ब्यावर, किशनगढ, जैसे उपखंडों में 6-7 दिन में एक बार पेयजल की सप्लाई होगी। यह सप्लाई भी मात्र 45 मिनट के लिए कम प्रेशर से होगी। हालांकि जयपुर के पानी में भी कटौती की गई है, लेकिन फिलहाल जयपुर में 36 घंटे की सप्लाई को बनाए रखा गया है।
भाजपा-कांग्रेस के नेता जिम्मेदारः
6 सितम्बर को ही अजमेर के प्रमुख चैराहों पर होर्डिंग लगाए हैं। ये होर्डिंग बीसलपुर के पानी को लेकर है। इस होर्डिंग के माध्यम से अजमेर के लोगों को अपने अधिकारों के प्रति जागरुक होने का आव्हान किया है। होर्डिंग पर किसी नेता और राजनीतिक दल का उल्लेख नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि ये होर्डिंग उस व्यक्ति ने लगाए हैं, जिसके मन में अजमेर की उपेक्षा का दर्द है। यह सही है कि अजमेर जिले की प्यास बुझाने के लिए कोई तीस वर्ष पहले बनास नदी पर बीसलपुर बांध का निर्माण किया गया था, तब अजमेर में एक सप्ताह में एक बार पेयजल की सप्लाई होती थी। तब यह कहा गया कि बांध के पानी पर पहला हक अजमेर का होगा और यदि अजमेर की मांग पूरी करने के बाद पानी बचेगा तो अन्यंत्र दिया जाएगा। लेकिन अजमेर के ढीले और कमजोर राजनेताओं की वजह से बीसलपुर का पानी जयपुर को भी सप्लाई हो गया। इस कमजोरी में भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के नेता शामिल हैं। क्योंकि पिछले 25 वर्षों से राजस्थान में बारी बारी से भाजपा कांग्रेस का शासन है। कांग्रेस के गत शासन में जयपुर के लिए बीसलपुर की योजना शुरू हुई और भाजपा के शासन में अब जयपुर को अजमेर से भी ज्यादा मात्रा में पानी दिया जा रहा है। भाजपा के 8 में से 7 विधायक हैं तथा चार विधायक राज्यमंत्री की सुविधा का उपभोग कर रहे हैं, लेकिन किसी में भी इतनी हिम्मत नहीं कि अजमेर जिले के लोगों के अधिकारों की बात कर सके। अजमेर के जो नेता इन दिनों कटोरा लेकर वोट की भीख मांग रहे हैं उन्हें शर्म आनी चाहिए कि अजमेर में अब चार पांच दिन में एक बार पेयजल की सप्लाई होगी। यह तब है जब अजमेर स्मार्ट सिटी बन रहा है। सत्ता में होने की वजह से भाजपा के कुछ नेता कह रहे है कि स्थानीय स्त्रोतों को विकसित कर पेयजल की सप्लाई की जाएगी। यह सफेद झूठ है, क्योंकि अजमेर में स्थानीय स्त्रोत है ही नहीं। भूमिगत स्तर लगातार गिरने की वजह से पुष्कर सरोवर में ही ट्यूब वेल के जरिए पानी नहीं डाला जा रहा है। इसे मजाक ही कहा जाएगा कि डार्क जोन वाले इलाकों में ट्यूब वेल खोदने का दावा किया जा रहा है। राज चाहे भाजपा का हो या कांग्रेस का अजमेर की जनता तो हमेशा ठगी जाती है। जो नेता विपक्ष में रहते चिल्लाते हैं वे सत्ता में आते ही गूंगे हो जाते हैं। कांगे्रस और भाजपा के नेताओं का मकसद सिर्फ सत्ता की मलाई चाटना है।
अनुपात में लें बांध से पानीः
यंू तो अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष शिव शंकर हेड़ा और अजमेर के ही भाजपा नेता व राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष औंकार सिंह लखावत भी राज्यमंत्री की सुविधा ले रहे हैं। ऐसे सभी नेताओं की आंख में एक बूंद पानी भी बचा हो तो उन्हें बांध से अजमेर-जयपुर के लिए अनुपात में पानी दिलवाना चाहिए। यदि जयपुर में 36 घंटे में एक बार सप्लाई हो रही है तो अजमेर के लिए भी बांध से रोजाना इतना पानी लिया जाए, ताकि 36 घंटे सप्लाई हो सके। यदि बीसलपुर से पानी लेकर जयपुर को 36 घंटे में सप्लाई दी जाती है और अजमेर को चार-पांच दिन में एक बार तो फिर भाजपा के नेता अपनी स्थिति का अंदाजा लगा लें। जब अजमेर में चार-पांच दिन में एक बार पेयजल की सप्लाई हो रही है तो फिर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस भाजपा के नेता किस मुंह से वोट मांगेंगे?